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अस्पतालों में सक्रिय दलाल गिरोह से था संजय का संबंध

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कोलकाता. आरजी कर की घटना में गिरफ्तार सिविक वॉलंटियर संजय रॉय को लेकर नये-नये खुलासे हो रहे हैं. बताया जा रहा है कि जांच के दौरान पुलिस को पता चला है कि संजय कोलकाता के सरकारी अस्पतालों में सक्रिय दलाल गिरोह से जुड़ा था. मरीजों के परिजनों से कहा जाता था कि अस्पताल में बेड तभी मिलेगा, जब वे संजय से संपर्क करेंगे. सूत्रों के मुताबिक, संजय का मुख्य काम कोलकाता पुलिस कल्याण समिति से जुड़कर अस्पताल में पुलिसकर्मियों और उनके रिश्तेदारों की मदद करना था. इस काम के लिए वह आरजी कर, एनआरएस, मेडिकल कॉलेज में आता-जाता रहता था. शहर के कई सरकारी अस्पतालों में सक्रिय दलालों के भी संपर्क में रहता था. साथ ही वह अस्पताल के अधिकारियों से भी परिचित था. आरोप है कि संजय मरीजों को भर्ती करने के नाम पर दलालों के जरिए पैसे वसूलता था. वह मरीजों के घरवालों को अपना परिचय पुलिसकर्मी के रूप में देता था. अपनी बाइक पर पुलिस का स्टीकर लगाकर घूमता था. पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि उक्त बाइक किसी पुलिस अधिकारी या पुलिस अथॉरिटी से खरीदी गयी थी या संजय ने इसे पुलिस से ही अलॉट कराया था. वह सरकारी अस्पतालों में नौकरी दिलाने के नाम पर भी लोगों से मोटी रकम वसूलता था. पुलिस ने कहा कि उन दलालों की भी पहचान करने का प्रयास किया जा रहा है, जो कोलकाता के कम से कम चार प्रमुख सरकारी अस्पतालों में संजय से जुड़े थे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

कोलकाता. आरजी कर की घटना में गिरफ्तार सिविक वॉलंटियर संजय रॉय को लेकर नये-नये खुलासे हो रहे हैं. बताया जा रहा है कि जांच के दौरान पुलिस को पता चला है कि संजय कोलकाता के सरकारी अस्पतालों में सक्रिय दलाल गिरोह से जुड़ा था. मरीजों के परिजनों से कहा जाता था कि अस्पताल में बेड तभी मिलेगा, जब वे संजय से संपर्क करेंगे. सूत्रों के मुताबिक, संजय का मुख्य काम कोलकाता पुलिस कल्याण समिति से जुड़कर अस्पताल में पुलिसकर्मियों और उनके रिश्तेदारों की मदद करना था. इस काम के लिए वह आरजी कर, एनआरएस, मेडिकल कॉलेज में आता-जाता रहता था. शहर के कई सरकारी अस्पतालों में सक्रिय दलालों के भी संपर्क में रहता था. साथ ही वह अस्पताल के अधिकारियों से भी परिचित था. आरोप है कि संजय मरीजों को भर्ती करने के नाम पर दलालों के जरिए पैसे वसूलता था. वह मरीजों के घरवालों को अपना परिचय पुलिसकर्मी के रूप में देता था. अपनी बाइक पर पुलिस का स्टीकर लगाकर घूमता था. पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि उक्त बाइक किसी पुलिस अधिकारी या पुलिस अथॉरिटी से खरीदी गयी थी या संजय ने इसे पुलिस से ही अलॉट कराया था. वह सरकारी अस्पतालों में नौकरी दिलाने के नाम पर भी लोगों से मोटी रकम वसूलता था. पुलिस ने कहा कि उन दलालों की भी पहचान करने का प्रयास किया जा रहा है, जो कोलकाता के कम से कम चार प्रमुख सरकारी अस्पतालों में संजय से जुड़े थे.

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