पश्चिम बंगाल में हाल ही में राज्यपाल सीवी आनंद बोस (Governor CV Anand Bose) पर राजभवन की एक महिला कर्मी से छेड़छाड़ करने का आरोप लगा था. अभी इस मामले की जांच जारी थी कि उन पर एक और महिला ने यौन शोषण करने का आरोप लगाया है. एक ओडिसी नर्तकी ने आरोप लगाया कि शो के नाम पर राज्यपाल ने उसे दिल्ली ले जाकर उसका यौन शोषण किया. ऐसे में बंगाल पक्ष ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर राज्यपाल के खिलाफ निष्पक्ष जांच की मांग की है. संगठन की ओर से महासचिव कौशिक मैती ने यह पत्र लिखा है.

राज्यपाल को अस्थायी रूप से पद से हटाने का अनुरोध

गौरतलब है कि संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपाल के खिलाफ कोई जांच नहीं की जा सकती है. ऐसे में बंगाल के इस संगठन ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में सवाल उठाया है कि क्या राज्यपाल को संवैधानिक संरक्षण मिलना चाहिए, जब पीड़िता न्याय से वंचित है? बंगाल पक्ष ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि जांच पूरी होने तक राज्यपाल को अस्थायी रूप से पद से हटा दिया जाये, ताकि जांच हो सके और पीड़ितों को न्याय मिल सके.

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तृणमूल शिक्षा सेल का राजभवन अभियान 17 को

 राज्यपाल डॉ सीवी आनंद बोस पर राजभवन की एक महिला कर्मचारी द्वारा लगाये गये दुर्व्यवहार के आरोप को लेकर तृणमूल लगातार उनपर निशाना साध रही है. अब राज्यपाल के पदत्याग की मांग पर तृणमूल शिक्षा सेल ने राजभवन अभियान की घोषणा की है. सेल के चेयरमैन व शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने कहा कि यह अभियान 17 मई को चलाया जायेगा. इसमें विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और स्कूलों के शिक्षक भी शामिल होंगे. अभियान के तहत डोरिना क्रासिंग से एक रैली निकाली जायेगी, जो राजभवन की ओर जायेगी.

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