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West Bengal : सुप्रीम कोर्ट ने स्वैच्छिक शिक्षकों की नियुक्ति पर कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक आदेश को खारिज करते हुए शुक्रवार को कहा कि उच्च न्यायालय सिर्फ कुछ पत्रों के आधार पर बिना कारण बताए सीबीआई से जांच का आदेश देने की अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकता.न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश पारित किया.
क्या है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने गोरखा प्रादेशिक प्रशासन में स्वैच्छिक शिक्षकों को स्थायी करने के लिए कथित तौर पर किसी नियुक्ति प्रक्रिया का पालन किये बिना प्रभारी मंत्री को लिखे गये पत्रों की सीबीआई द्वारा एसआईटी जांच के आदेश को खारिज करने का आदेश पारित किया. इससे पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 19 मार्च और 9 अप्रैल 2024 को जांच का आदेश पारित किया था. पश्चिम बंगाल सरकार की अपील पर विचार करते हुए शीर्ष न्यायालय ने कहा, इसमें कोई संदेह नहीं है कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए उच्च न्यायालय को जांच सीबीआई को सौंपने का अधिकार है.
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सीबीआई को जांच सौंपने की कवायद दुर्लभ मामलों में होनी चाहिए
हालांकि, ऐसा करने के लिए उसे इस बात पर विचार करना होगा कि उसे क्यों लगता है कि राज्य पुलिस द्वारा की गयी जांच निष्पक्ष या पक्षपातपूर्ण नहीं है. केवल कुछ पत्रों के आधार पर इस तरह की कवायद उचित नहीं है. खंडपीठ ने यह भी कहा कि इस अदालत ने लगातार यह माना है कि उच्च न्यायालय द्वारा सीबीआई को जांच सौंपने की ऐसी कवायद बहुत ही दुर्लभ मामलों में की जानी चाहिए.
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