हाइकोर्ट ने आइआइएम कलकत्ता के फैकल्टी मेंबर की पेंशन को लेकर पुनर्विचार याचिका की मंजूर
खंडपीठ ने माना कि संबंधित पेंशन नियम स्वतः ही उन कर्मचारियों को कवर करते हैं, जिन्होंने ऑप्ट-आउट नहीं किया.
कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट की खंडपीठ ने 2020 में नयी जीपीएफ-सह-पेंशन-सह-ग्रेच्युटी योजना में शामिल न होने पर आइआइएम कलकत्ता फैकल्टी मेंबर को पेंशन लाभ देने से इनकार कर दिया था. जस्टिस राजशेखर मंथा और जस्टिस अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका को अनुमति दी. खंडपीठ ने माना कि संबंधित पेंशन नियम स्वतः ही उन कर्मचारियों को कवर करते हैं, जिन्होंने ऑप्ट-आउट नहीं किया. इसने स्पष्ट किया कि पिछली खंडपीठ ने यह मानने में गलती की कि कर्मचारी को स्पष्ट रूप से ऑप्ट-इन करना था. गाैरतलब है कि 1987 में आइआइएम कलकत्ता ने चौथे वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर अधिसूचना जारी की, जिसमें नयी पेंशन योजना शुरू की गयी. यदि कर्मचारी सीपीएफ योजना के अंतर्गत बने रहना चाहते थे तो उन्हें छह महीने के भीतर इससे बाहर निकलना आवश्यक था अन्यथा, वे स्वचालित रूप से नयी जीपीएफ-सह-पेंशन-सह-ग्रेच्युटी योजना (नई योजना) में चले जायेंगे. जबकि आइआइएम कलकत्ता फैकल्टी मेंबर ने कोई विकल्प नहीं चुना और आइआइएम ने उन्हें सीपीएफ लाभार्थी के रूप में मानना जारी रखा. 2020 में एक डिवीजन बेंच ने पेंशन योजना में शामिल होने के आइआइएम कलकत्ता फैकल्टी मेंबर के दावे को खारिज कर दिया यह मानते हुए कि वे इसमें शामिल होने में विफल रहे. अंत में न्यायालय ने पुनर्विचार के दौरान प्रस्तुत किये गये नये दस्तावेजों को स्वीकार किया, जिसमें बैठकों के मिनट और वित्तीय विवरण शामिल हैं. इसने माना कि ये दस्तावेज आइआइएम कलकत्ता फैकल्टी मेंबर के मामले की पुष्टि करते हैं और उसका समर्थन करते हैं. कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका स्वीकार की और आइआइएम कलकत्ता फैकल्टी मेंबर की अपील रद्द करने का फैसला खारिज कर दिया.
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