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पश्चिम बंगाल में आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के रजिस्ट्रेशन करने के मामले में कलकत्ता हाइकोर्ट ने फिलहाल हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. सोमवार को न्यायमूर्ति पार्थ सारथी सेन की अध्यक्षता वाली अवकाश पीठ ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष की याचिका खारिज कर दी, जिसमें पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल द्वारा उनके मेडिकल पंजीकरण को रद्द करने के मामले में त्वरित सुनवाई की मांग की गयी थी.
रजिस्ट्रेशन रद्द के मामले में हाइकोर्ट ने हस्तक्षेप से किया इंकार
सोमवार को न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले की नियमित अदालती सत्रों में सुनवाई होनी चाहिए, इसकी तत्काल सुनवाई की आवश्यकता नहीं है. गौरतलब है कि संदीप घोष की कानूनी परेशानियां आरजी कर अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं के मामले में सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ़्तारी के बाद शुरू हुईं. स्थिति तब और बिगड़ गयी जब उन्हें आरजी कर अस्पताल में एक जूनियर चिकित्सक के साथ दुष्कर्म व हत्या मामले में जांच को गुमराह करने और साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने के भी आरोप लगे.
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मेडिकल काउंसिल ने संदीप घोष को कारण बताओ नोटिस किया था जारी
मेडिकल काउंसिल ने सात सितंबर को संदीप घोष को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए तीन दिनों के अंदर जवाब मांगा था. उस समय हिरासत में होने के कारण, संदीप घोष काउंसिल के नोटिस का जवाब देने में विफल रहे, जिसके परिणामस्वरूप 19 सितंबर को उनका पंजीकरण रद्द कर दिया गया. मेडिकल काउंसिल के फैसले को संदीप घोष ने हाइकोर्ट में चुनौती दी थी और इस पर तत्काल सुनवाई का आवेदन किया था, लेकिन हाइकोर्ट की अवकाशकालीन पीठ ने मामले में फिलहाल हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया.
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