चिकित्सकों ने लीवर की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित मरीज की बचायी जान
यह लीवर और अन्य अंगों में सिस्ट विकसित कर सकता है.
कोलकाता. बारासात स्थित नारायणा हॉस्पिटल ने लीवर की हाइडैटिड बीमारी से पीड़ित राज्य के 68 वर्षीय एक मरीज का गैर-शारीरिक लीवर रिसेक्शन के साथ लैप्रोस्कोपिक क्लोज्ड पेरीसिस्टेक्टोमी (लैप्रोस्कोपिक क्लोज्ड पेरीसिस्टेक्टोमी नॉन-एनाटॉमिकल लीवर रिसेक्शन) का सफलतापूर्वक इलाज किया है. हाइडैटिड रोग एक परजीवी संक्रमण है, जो एक खास तरह के टेपवर्म के कारण होता है. यह लीवर और अन्य अंगों में सिस्ट विकसित कर सकता है. टेपवर्म आमतौर पर भेड़ और कुत्तों जैसे पशुओं में रहते हैं. यह संक्रमण ग्रामीण, अविकसित क्षेत्रों में आम है. जहां लोग पशुपाल पालते हैं. अगर कोई व्यक्ति गलती से परजीवी से संक्रमित कोई चीज खा या पी लेता है तो उसे यह बीमारी हो सकती है. नारायणा अस्पताल, बारासात के जीआइ और मिनिमल एक्सेस सर्जन डॉ प्रणय गुप्ता ने टीम की उक्त सर्जरी की है. अस्पताल में मिनिमल एक्सेस जीआइ सर्जन के सलाहकार डॉ. प्रणय गुप्ता ने कहा, हाइडैटिड बीमारी ग्रामीण या अविकसित क्षेत्रों में होती है. यह उन लोगों में खास तौर पर आम है जो भेड़ या अन्य पशुधन पालते हैं और साथ ही जिनके पास आवारा या बाहरी कुत्ते भी होते हैं. हाइडैटिड से पीड़ित 68 वर्षीय किसान मरीज आवारा कुत्तों को पालतू जानवर के बीच रहते थे, जिससे जूनोटिक संक्रमण का संदेह हुआ. इसलिए हमने नॉन-एनाटॉमिकल लीवर रिसेक्शन के साथ लैप्रोस्कोपिक क्लोज्ड पेरीसिस्टेक्टोमी करने का फैसला किया. मरीज की उम्र और स्वास्थ्य स्थिति जैसी कठिनाइयों के बावजूद डॉ. प्रणय गुप्ता और उनकी टीम ने इस चुनौतीपूर्ण मामले को लिया और गैर-शारीरिक लीवर रिसेक्शन के साथ लेप्रोस्कोपिक क्लोज्ड पेरीसिस्टेक्टोमी का निर्णय लिया. जो सफल रहा. अब मरीज पूरी तरह से स्वस्थ्य है.
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