बच्ची से दुष्कर्म व हत्या में दोषी को फांसी की सजा
न्यायाधीश सुब्रत चट्टोपाध्याय ने दक्षिण 24 परगना के जयनगर में नौ साल की एक बच्ची से दुष्कर्म व हत्या के मामले में दोषी करार दिये गये मोस्तकिन सरदार उर्फ मुस्तकीम (19) को फांसी की सजा सुनायी है.
पॉक्सो कोर्ट ने 64 दिनों के अंदर सुनायी सजा
संवाददाता, कोलकाताबारुईपुर फास्ट ट्रैक एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जजेज कोर्ट (पॉक्सो कोर्ट) के न्यायाधीश सुब्रत चट्टोपाध्याय ने दक्षिण 24 परगना के जयनगर में नौ साल की एक बच्ची से दुष्कर्म व हत्या के मामले में दोषी करार दिये गये मोस्तकिन सरदार उर्फ मुस्तकीम (19) को फांसी की सजा सुनायी है. घटना के 63 दिनों में आरोपी को दोषी करार दिया गया. शुक्रवार को घटना के 64वें दिन दोषी को मौत की सजा सुनायी गयी. साथ ही पीड़िता के परिवार को 10 लाख रुपये मुआवजा देने का भी आदेश दिया गया है. पुलिस ने दावा किया कि पश्चिम बंगाल के इतिहास में यह पहली बार है, जब घटना के 64 दिनों के अंदर दोषी को सजा सुनायी गयी है. विशेष सरकारी अधिवक्ता विभास चट्टोपाध्याय ने पत्रकारों से कहा कि जयनगर में हुई घटना नृशंस और दुर्लभतम है. इसलिए हमने अदालत से दोषी को मौत की सजा देने की अपील की थी. कोर्ट में गिरफ्तार युवक के दोष को साबित करने के लिए फॉरेंसिक व मेडिकल जांच की रिपोर्ट व डिजिटल तथ्यों और सबूतों ने अहम भूमिका निभायी. दोषी के कपड़े में मिले खून के निशान पीड़िता के ब्लड के डीएनए से बिल्कुल मैच कर गये. दोषी की साइकिल में मिला बाल भी पीड़िता के डीएनए से मैच कर गया. पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में मिले सीमन दोषी के डीएनए प्रोफाइल से मैच कर गये. जब दोषी शख्स नाबालिग को साइकिल पर बैठा रहा था, तब एक गवाह ने उसे देखा था और इसका कारण भी पूछा था. तब युवक ने झूठी बात कही थी कि लड़की के पिता ने उसे घर ले जाने को कहा है. एक अन्य गवाह ने उसे घटनास्थल के पास पसीने में तर-बतर होकर भागते देखा था. इधर, सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग व अन्य डिजिटल तथ्यों तथा 36 गवाहों के बयान भी महत्वपूर्ण साबित हुए.तीन धाराओं में मिली मौत की सजा :
मोस्तकिन को तीन धाराओं में फांसी की सजा सुनायी गयी है, जबकि अन्य धाराओं में अन्य सजा का ऐलान किया गया है. सरकारी अधिवक्ता सुब्रत सरदार ने पत्रकारों से कहा कि तीन धाराओं में दोषी ठहराये गये मोस्तकिन को मौत की सजा सुनायी गयी है. सबसे पहले, प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस (पॉक्सो) एक्ट- 6 के तहत नाबालिग से दुष्कर्म व हत्या के लिए दोषी को तहत मौत की सजा मुकर्रर की गयी. दूसरा, एक नाबालिग की हत्या के लिए. भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 103 (जो भारतीय दंड संहिता की धारा 302 थी) और तीसरा, 12 साल से कम उम्र की नाबालिग से दुष्कर्म और हत्या के लिए बीएनएस की धारा 66 के तहत दोषी को फांसी की सजा सुनायी गयी है. इसके अलावा नाबालिग के अपहरण के लिए उम्रकैद व सबूतों से छेड़छाड़ के लिए दोषी को सात वर्ष कारावास की सजा भी दी गयी है. कोर्ट ने मृतक नाबालिग के परिवार को 10 लाख रुपये मुआवजा देने का भी आदेश दिया है. सरकारी वकील ने कहा कि यह दुर्लभतम मामलों में से एक है.पीड़िता के परिवार को 10 लाख का मुआवजा देने का आदेश
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