WB News : आखिर अधीर रंजन चौधरी को बार-बार गुस्सा क्यों आ रहा है ?
WB News : तृणमूल कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जिस तरह से उनको देखते ही तृणमूल कांग्रेस के लोग गो बैक का नारा लगाकर उनको उकसा कर रहे हैं, वह राज्य की संस्कृति के खिलाफ है. इससे राज्य की बदनामी हो रही है.
![an image](https://pkwp184.prabhatkhabar.com/wp-content/uploads/2024/03/adhir-ranjan-choudhari-1024x683.jpg)
WB News : पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार में जुटे कांग्रेस के उम्मीदवार अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhury) को बार बार गुस्सा क्यों आ रहा है. क्यों बार बार वह आक्रमक हो जा रहे हैं. यह सवाल राज्य की राजनीति में चर्चा का विषय बन गया है. जानकारों का कहना है कि साल 2014 में अधीर बहरामपुर से साढ़े तीन लाख से अधिक वोटो से जीते थे. साल 2019 में यह संख्या घटकर 80 हजार पर पहुंच गयी थी. अधीर के गढ़ में वोटों में आयी गिरावट क्या उनके गुस्से का कारण बन गया है. उसी केंद्र से इस बार भी अधीर मुकाबला कर रहे हैं, लेकिन चुनाव प्रचार के समय उनका उत्तेजित होना खबरों की सुर्खियां बन रहा है.
तृणमूल कांग्रेस के समर्थक उनको जहां देख रहे हैं, वहीं गो बैक का नारा लगा रहे
तृणमूल कांग्रेस के समर्थक उनको जहां देख रहे हैं, वहीं गो बैक का नारा लगा रहे हैं. जिसे सुनकर अधीर आग-बबूला हो जा रहे हैं. नतीजतन विरोधियों को वह कभी थप्पड़ मार दे रहे हैं, तो कभी धक्का देकर दूर भगा दे रहे हैं. ऐसे में पांच बार के सासंद अधीर को लेकर लोग चर्चा कर रहे हैं कि वह दबाव को झेल नहीं पा रहे हैं. हालांकि अधीर के बदले रुप पर खुद कांग्रेस के अंदरखाने में भी चर्चा हो रही है. साथ ही लोग सफाई में कह रहे हैं कि वह असली कारण को नहीं देख रहे हैं.
Mamata Banerjee : ममता बनर्जी ने कहा, स्कूलों में हुई नौकरियों पर उच्च न्यायालय का आदेश अवैध
क्या कहना है राजनीति पार्टियों का
अधीर के बार-बार उत्तेजित होने की घटना पर बहरामपुर से भाजपा विधायक सुब्रत मोइत्रा का कहना है कि अधीर पहले ऐसे नहीं थे. लग रहा है कि उनको पता लग गया है कि वह अपना जनसमर्थन खो दिये हैं. इस बार उनका जीतना संभव नहीं है. इसलिए वह बार-बार हमलावर हो जा रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने तृणमूल कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जिस तरह से उनको देखते ही तृणमूल कांग्रेस के लोग गो बैक का नारा लगाकर उनको उकसा कर रहे हैं, वह राज्य की संस्कृति के खिलाफ है. इससे राज्य की बदनामी हो रही है. तृणमूल कांग्रेस के लोगों को इसकी परवाह नहीं है. यह रवैया पश्चिम बंगाल के दूरगामी राजनीति में नकारात्मक प्रभाव डालेगा.