Lucknow News: उत्तर प्रदेश सरकार ने तबादला आदेश नहीं मानने वाले पीसीएस अधिकारी उपजिलाधिकारी शैलेंद्र प्रताप सिंह को निलंबित कर दिया है. गाजीपुर जनपद में उपजिलाधिकारी के पद पर तैनात शैलेंद्र प्रताप सिंह का कुछ समय पहले वाराणसी तबादला किया गया था. उन्होंने नए तैनाती स्थल पर पदभार ग्रहण नहीं किया था. इसके साथ ही वह बिना बताए गायब चल रहे थे. शिकायत मिलने पर नियुक्ति विभाग ने इस प्रकरण की जांच की, जिसमें आरोप सही पाए गए. इसके बाद अब सरकार ने शैलेंद्र प्रताप सिंह को अनुशासनहीनता के आरोप में निलंबित कर दिया है. प्रदेश के नियुक्ति विभाग के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी ने उनके निलंबन आदेश जारी किए हैं. यूपी की नौकरशाही में इस निलंबन की काफी चर्चा है. पीसीएस अधिकारी का तबादला आदेश की अनदेखी कर तैनाती स्थल पर नहीं जाना और बिना बताए गायब रहने पर कई सवाल उठ रहे हैं. वहीं सरकार ने पीसीएस अधिकारी का निलंबन कर सख्त संदेश दिया है. शैलेंद्र प्रताप वर्ष 2015 बैच के पीसीएस अधिकारी हैं. करीब छह माह पहले उनका तबादला गाजीपुर से वाराणसी किया गया था. बताया जा रहा है कि वाराणसी में ज्वाइनिंग देने के बजाय वह छुट्टी पर चले गए. इस तरह छुट्टी पर जाने को लेकर कई सवाल उठ रहे थे. कहा जा रहा है कि तबादला आदेश नहीं मानने के मामले में निलंबन की कार्रवाई पहली बार हुई है.

इस बीच उत्तर प्रदेश सरकार वन विभाग में पदोन्नति के जरिए वन रक्षक बनने के नियम जल्द शिथिल करने जा रही है. प्रदेश सरकार ने शारीरिक परीक्षा के लिए तय मानकों में राहत देने का निर्णय किया है. उत्तर प्रदेश वन विभाग अवर अधीनस्थ (वन रक्षक और वन्य जीव रक्षक) सेवा नियमावली-2015, में संशोधन का प्रस्ताव मंगलवार को कैबिनेट के समक्ष रखा गया था. लेकिन, इसे अभी स्वीकृति नहीं मिल सकी है.

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को नए सिरे से तैयार करने के निर्देश दिए हैं. बताया जा रहा है कि प्रदेश सरकार इसमें लंबाई के मानक को कम करने जा रही है. नियमों को शिथिल करने से रिक्त चल रहे वनरक्षक के पद भरे जाएंगे. नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव जल्द कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा.