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Lucknow : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व MLC स्वामी प्रसाद मौर्य को बड़ी राहत दी है. स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने का क्रिमिनल केस 2014 में दर्ज कराया गया था. जिसको अब इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच की तरफ से रद्द कर दिया गया है.
यह याचिका एक अधिवक्ता के तरफ से दायर किया गया था. इसके बाद सुल्तानपुर एसीजेएम कोर्ट ने आईपीसी 295 ए में मौर्या को तलब किया था. जिसके बाद एसीजेएम कोर्ट के फैसले को स्वामी प्रसाद मौर्य ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने की सुनवाई
जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए ट्रायल कोर्ट का आदेश निरस्त कर दिया. कोर्ट ने कहा कि शिकायत का संज्ञान लेने का आदेश और सीआरपीसी की धारा 196 के तहत सरकार की अनिवार्य मंजूरी प्राप्त किए बिना आईपीसी की धारा 295A के तहत अपराध के मुकदमे का सामना करने के लिए मौर्य को समन करना कानूनी रूप से उचित नहीं है.
2014 में दर्ज हुआ था यह मामला
दरअसल, 2014 स्वामी प्रसाद मौर्या बसपा के राष्ट्रीय महासचिव थे. उन्होने लखनऊ में एक सभा को संबोधित करते हुए हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी. इसके बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया, जिसमें अनिल तिवारी परिवादी और तेज बहादुर सिंह व श्रवण पांडे ने बयान दर्ज कराया था.
इस मामले में गवाह श्रवण कुमार पांडे ने जानकारी देते हुए बताया था कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने जनसभा के दौरान देवी और देवताओं पर अभद्र टिप्पणी करते हुए कहा था, कि शादी-विवाह में गौरी गणेश की पूजा नहीं करनी चाहिए, जिसको लेकर अनिल तिवारी ने एक परिवाद दायर किया था. इसमें गवाह के रूप में मैंने स्वयं गवाही दी थी. इसके स्वामी को कोर्ट में तलब किया गया था. मामले में LBW जारी हुआ था. LBW जारी होने के बाद स्वामी हाई कोर्ट की शरण में गए.