UP By Election: यूपी उपचुनाव बसपा सुप्रीमो मायावती के लिए बड़ा झटका, एक-एक वोट को तरसे BSP उम्मीदवार
कृषि कानून और एमएसपी सहित कई मांगों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन खत्म हो गया है. एक ओर यूपी चुनाव से पहले सरकार की पहल की चर्चा हो रही है, वहीं दूसरी ओर किसान नेता राकेश टिकैत भी सुर्खियां बटोर रहे हैं.
किसान आंदोलन शुरू होने के तीन महीने बाद ही हिंसक प्रदर्शन की वजह से खत्म माना जा रहा था, लेकिन राकेश टिकैत ने इसे जिन्दा कर दिया. आखिर में एक साल 14 दिन बाद सरकार को घुटने टेकने पड़े और कृषि कानून वापस लेना पड़ा.
2007 में खतौली से विधानसभा और 2014 में अमरोहा से लोकसभा चुनाव हार चुके राकेश टिकैत ने चुनावी राजनीति नहीं करने का ऐलान कर दिया है. वहीं राकेश टिकैत ने आंदोलन खत्म करने के बाद कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा खत्म नहीं होगा.
वहीं किसान आंदोलन खत्म होने के बाद राकेश टिकैत के अगले कदम ट्विटर सबकी नजर है. हालांकि टिकैत बार-बार चुनाव नहीं लड़ने की बात कह रहे हैं. वहीं बताया जा रहा है कि राकेश टिकैत जिधर होंगे, उधर पश्चिमी यूपी के किसान और जाट वोटर जाएगा.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में करीब 17% जाट वोटर है. पश्चिमी यूपी में पिछले तीन चुनावों में बीजेपी बढ़िया परफॉर्मेंस करते आ रही है. हालांकि किसान आंदोलन के बाद यहां के मतदाताओं का रूख किधर होगा, इसपर सस्पेंस बरकरार है.
राकेश टिकैत ने मुजफ्फरनगर रैली में जाट और मुस्लिम को एक साथ लाने की कवायद की थी. टिकैत ने सबको साथ मिलकर सरकार से लड़ने का आह्वान किया था. ऐसे में पश्चिमी यूपी में जाट और मुस्लिम समीकरण अगर बनती है, तो राकेश टिकैत का आह्वान सफल हो सकता है.
इधर, चर्चा है कि टिकैत फैमिली के कुछ लोग विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं. हालांकि अभी तक ना तो सीनियर टिकैत और ना ही राकेश टिकैत ने इसपर कुछ कहा है. बताया जा रहा है कि किसान आंदोलन के बाद अब पश्चिमी यूपी को लेकर राजनीतक विश्लेषकों की नजर सिसौली गांव की तरफ है.
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