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Kisan Andolan: लोकसभा में कृषि कानून पास होने से लेकर कृषि कानून निरसन विधेयक पारित होने तक किसान नेता राकेश टिकैत ने कई मुश्किलों का सामना किया. कई दफा लगा की आंदोलन खत्म हो जाएगा, लेकिन टिकैत ने हार नहीं मानी, और किसान आंदोलन में जान फूंकते रहे, जिसका नतीजा ये हुआ कि सरकार को किसानों की मांग माननी पड़ी, और अखिर में कृषि कानून वापस ले लिया. इस बीच एक बार फिर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत सुर्खियों में आ गए हैं.
10 दिसंबर को विजेताओं की घोषणा
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे गाजीपुर पर जारी किसान आंदोलन की अगुवाई करने वाले राकेश टिकैत के इस बार चर्चा में आने की वजह उनका कोई बयान नहीं, बल्कि 21वीं सेंचुरी आइकॉन अवार्ड है, मिली जानकारी के अनुसार, राकेश टिकैत 21वीं सेंचुरी आइकॉन अवार्ड के फाइनलिस्ट चुने गए हैं. ब्रिटेन की राजधानी लंदन में आगामी 10 दिसंबर को विजेताओं की घोषणा की जाएगी.
राकेश टिकैत ने खत्म हुए आंदोलन में फूंकी जान
जानकारी के अनुसार, कृषि कानूनों की वापसी के बाद लंदन की कंपनी ने अवार्ड के लिए राकेश टिकैत का चुना है. दरअसल, किसान आंदोलन के दौरान देश ने अलग-अलग तरह की घटनाओं का भी सामना किया. इन सब के बीच राकेश टिकैत ने आंदोलन को मरने नहीं दिया. एक समय ऐसा भी आया था, जब धरनास्थल का बिजली-पानी काटा दिया गया. तब भी अनशन पर बैठे राकेश टिकैत ने हिम्मत नहीं हारी उन्होंने कहा अब ‘पानी तभी पीऊंगा जब गांव से पानी आएगा’.
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राकेश टिकैत के आंसुओं ने किया आंदोलन को जिंदा
दरअसल, किसान आंदोलन पर सबसे बड़ा संकट गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान आया. हिंसा के बाद सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पुलिस छावनी में तब्दील कर दिए गये. किसान नेताओं के खिलाफ केस दर्ज. हिंसा में शामिल लोगों की गिरफ्तारी की गई. कई बड़े-बड़े नेताओं पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई. लगने लगा की अब आंदोलन खत्म हो जाएगा.
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टिकैत का रोते हुए वायरल हुआ विडियो
तभी अचानक राकेश टिकैत का रोते हुए एक विडियो सामने आया, जो देखते ही देखते आग की तरह पूरे देश में फैल गया, और इस तरह एक बार राकेश टिकैत के आंसुओं ने मरते आंदोलन को जिंदा कर दिया. टिकैत के समर्थन में एक बार फिर देश के अलग अलग हिस्सों से किसान पहुंच गए.
Posted by Sohit trivedi