Lucknow news: लखनऊ में काउंटिंग के बीच सपा और बीजेपी के कार्यकर्ताओं में चले लात घूसे, मारपीट में कई लोग घायल
Lucknow: प्रदेश में विधान परिषद की पांच सीटों पर हो रहे चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी अपनी रणनीति को धार देने में जुट गई है. पार्टी हर सीट को बेहद गंभीरता से ले रही है और इसके लिए नेताओं और कार्यकर्ताओं को लगाया गया है. सपा की पूरी कोशिश की है कि उच्च सदन की इन सीटों को लेकर चुनाव में न सिर्फ दमदार प्रदर्शन किया जाए बल्कि जीत हासिल करके नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी भी हासिल कर ली जाए.
वरिष्ठ नेताओं को सौंपी जिम्मेदारी
इसके मद्देनजर सपा ने अपनी रणनीति को सफल बनाने के लिए बड़े नेताओं को मैदान में उतार दिया है. पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसके लिए वरिष्ठ व अनुभवी नेताओं को मुख्य जिम्मेदारी दी है. दरअसल विधान परिषद चुनाव में 3 सीट खंड स्नातक और 2 सीट शिक्षक क्षेत्र की हैं. सपा इसके लिए मतदाताओं से व्यक्तिगत संपर्क की रणनीति पर काम कर रही है. हर जनपद में विधायकों, सांसदों से लेकर प्रभावी लोगों को जिम्मेदारी सौंपी गई है.
18 जनपदों में प्रभारी घोषित
सपा ने इसके लिए 18 जनपदों में प्रभारी भी घोषित कर दिए हैं. इनमें पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी, एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय, पूर्व मंत्री दुर्गा प्रसाद यादव, लालजी वर्मा, अंबिका चौधरी जैसे अनुभवी चेहरों को कमान सौंपी गई है. इन लोगों को 18 जनपदों में वोटर से संपर्क करने का जिम्मा सौंपा गया है. ये नेता मतदाताओं को विश्वास दिलाएंगे कि केवल सपा ही भाजपा सरकार को चुनौती देने में सक्षम है. वहीं उच्च सदन में पार्टी की मजबूती से जनहित के मुद्दे और प्रभावी तरीक से उठाए जा सकेंगे.
विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश
पार्टी रणनीति के तहत चुनाव में पुरानी पेंशन, बेरोजगारी, नौकरियों में भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को लेकर भी सरकार को आईना दिखाने की कोशिश करेगी. अगर उसका दांव चल जाता है तो उच्च सदन में ये उसकी ताकत फिर बढ़ जाएगी
उच्च सदन में ऐसे बढ़ेगी ताकत
दरअसल विधान परिषद में कुल 100 सदस्य हैं. नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी के लिए किसी भी राजनीतिक दल के पास इसमें से 10 प्रतिशत यानी 10 सीट होना जरूरी है. बीते वर्ष जुलाई में उच्च सदन के जिन 12 सदस्यों का कार्यकाल खत्म हुआ था, उनमें समाजवादी पार्टी के भी थे. इसके बाद उच्च सदन में सिर्फ 9 सदस्य होने के कारण सपा का नेता प्रतिपक्ष का दर्जा हट गया. अब ऐसे में अगर इस बार सपा एक भी सीट जीतने में कामयाब होती है तो, उच्च सदन में उसे नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी वापस मिल जाएगी. इससे सदन में उसके नेताओं का आत्मविश्वास भी बढ़ेगा.
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गलत तरीके से छीना गया नेता प्रतिपक्ष का पद
सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल के मुताबिक लोकतंत्र में नेता प्रतिपक्ष का पद विपक्ष का होता है. लेकिन मौजूदा सरकार में विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का पद जबरन नियम 234 का हवाला देकर हटाया गया, जो पूरी तरह से गलत था. उन्होंने कहा कि वर्तमान में विधान परिषद की पांच सीटों को लेकर चुनाव की बात करें तो इसमें तीन पर भाजपा के एमएलसी हैं, जबकि शिक्षक सीट को लकर एक पर चंदेल गुट और एक पर एके शर्मा गुट के एमएलसी हैं.
पांचों सीटों पर जीत का लक्ष्य
नरेश उत्तम ने कहा कि समाजवादी पार्टी ने पांचों सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. हमारा प्रयास है कि इन सभी सीटों पर जीत मिले. स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ता शिक्षक और स्नातक सबसे सपा उम्मीदवारों को वोट देने की अपील कर रहे हैं. हम लोगों तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं कि मजबूत विपक्ष ही सरकार को विभिन्न मुद्दों पर प्रभावी तरीके से घेर सकता है. सपा अपनी जिम्मेदारी को हमेशा से निभाती आ रही है, इसलिए पार्टी के उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करें.