Mahatma Gandhi Death Anniversary: आज देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है. 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी. भारत में आज गांधी जी की 75वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है. आइए जानते हैं महात्मा गांधी भारत (Mahatma Gandhi) के राष्ट्रपिता कैसे बने, महात्मा गांधी को पहली बार किसने राष्ट्रपिता कहकर पुकारा था, मोहनदास करमचंद गांधी से राष्ट्रपिता बनने तक सफर.

महात्मा गांधी पुण्यतिथि

भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आज 75वीं पुण्यतिथि (Mahatma Gandhi Death Anniversary) मनाई जा रही है. महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है. लोग उन्हे बापू के नाम से जानते हैं. गांधी जी, भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नायक हैं. गांधी जी के आदर्श, अहिंसा की प्रेरणा के सामने अंग्रेजों को भी हार माननी पड़ी थी.

महात्मा गांधी का जीवन परिचय

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. गांधी के पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था. महात्मा गांधी के दो भाई और एक बहन थी. जिसमें गांधी सबसे छोटे थे. मोहनदास बचपन से ही धार्मिक थे. वह पढ़ाई में ज्यादा अच्छे नहीं थे लेकिन अंग्रेजी में काफी निपुण थे.  

महात्मा गांधी का विवाह

महात्मा गांधी का विवाह 13 साल की उम्र में कस्तूरबा गांधी से हुआ था. 15 साल की उम्र में गांधी पिता बन गए थे. हालांकि उनका पहला पुत्र जीवित नहीं रहा. बाद में कस्तूरबा और महात्मा गांधी के चार बेटे हरिलाल, मणिलाल, रामलाल और देवदास हुए.

महात्मा गांधी के आंदोलन

महात्मा गांधी ने वकालत की पढ़ाई की. इसके बाद वह अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में शामिल हुए. और 1919 में रोलेट एक्ट कानून का विरोध शुरू किया.  इस एक्ट के तहत बिना मुकदमा चलाए किसी भी व्यक्ति को जेल भेजने का प्रावधान था. महात्मा गांधी ने सत्याग्रह की घोषणा की और पूरे देश को एकजुट कर आंदोलन किया. गांधी जी ने असहयोग आंदोलन, दांडी यात्रा, भारत छोड़ो आंदोलन और नागरिक अवज्ञा आंदोलन किए. महात्मा गांधी के आंदोलन के सामने अंग्रेजों को झुकना पड़ा था.

गांधी जी कैसे बने राष्ट्रपिता

दरअसल महात्मा गांधी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बीच वैचारिक मतभेद थे, लेकिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस हमेशा महात्मा गांधी का सम्मान किया. सबसे पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर पुकारा था. 6 जुलाई 1944 में रंगून रेडियो स्टेशन में अपने भाषण में सुभाष चंद्र बोस ने गांधी जी को राष्ट्रपिता कहकर बुलाया था. सुभाष चंद्र बोस ने कहा था, ‘हमारे राष्ट्रपिता, भारत की आजादी की पवित्र लड़ाई में मैं आपके आशीर्वाद और शुभकामनाओं की कामना करता हूं.