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Rourkela News: कुकुड़ा गेट आरओबी का तीन साल में महज 30 फीसदी हुआ काम, जाम से परेशानी

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Rourkela News: बंडामुंडा के कुकुड़ा गेट फाटक पर निर्माणाधीन रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) का काम निजी जमीन के अधिग्रहण को लेकर विवादों के कारण आगे नहीं बढ़ पा रहा है. 930 मीटर लंबे इस ब्रिज का काम विगत तीन सालों में केवल 30 फीसदी ही हो पाया है. यह काम भी केवल सरकारी जमीन पर ही हुआ है. बाकी बचा 70 फीसदी काम कब पूरा होगा, कहना मुश्किल है. उपयुक्त मुआवजा नहीं मिलने के कारण रैयत अपनी जमीन ब्रिज के लिए छोड़ना नहीं चाहते हैं. जिससे इस प्रोजेक्ट में निजी जमीन पर अभी तक एक ईंट भी नहीं पड़ी है. प्रभावित लोगों को जमीन का मुआवजा देने के लिए जिला प्रशासन की ओर से कई बार ग्रामसभा आयोजित की गयी, लेकिन विवाद के समाधान का कोई रास्ता नहीं निकला. साथ ही विवाद का समाधान करने की दिशा में रेलवे व जिला प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.

झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल व छत्तीसगढ़ के यात्रियों को परेशानी

बिसरा-बंडामुंडा मुख्य मार्ग पर कुकुड़ा गेट रेलवे फाटक स्थित है. इस मार्ग का इस्तेमाल लोग झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार और पश्चिम बंगाल आने-जाने के लिए करते हैं. मुंबई-हावड़ा जैसे व्यस्त रेलरूट पर स्थित यह रेल फाटक ट्रेनों की आवाजाही के कारण दिन अक्सर बंद रहता है. साथ ही यहां पर आरओबी भी नहीं है. कभी-कभी पांच से छह ट्रेनें गुजरने के बाद ही फाटक खोला जाता है. ऐसे में उक्त राज्यों के यात्रियों को यहां घंटों इंतजार करना पड़ता है. फाटक के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग जाती है तथा जाम की स्थिति देखी जाती है. कई बार यहां पर जाम लगने से एंबुलेंस तक फंस जाती है. जिसे निकालने के लिए पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. केवल एंबुलेंस ही नहीं, बल्कि स्कूल-कॉलेज समेत अपनी-अपनी नौकरी पर जानेवाले लोगों को भी इस जाम के कारण परेशानी का सामना करना पड़ता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Rourkela News: बंडामुंडा के कुकुड़ा गेट फाटक पर निर्माणाधीन रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) का काम निजी जमीन के अधिग्रहण को लेकर विवादों के कारण आगे नहीं बढ़ पा रहा है. 930 मीटर लंबे इस ब्रिज का काम विगत तीन सालों में केवल 30 फीसदी ही हो पाया है. यह काम भी केवल सरकारी जमीन पर ही हुआ है. बाकी बचा 70 फीसदी काम कब पूरा होगा, कहना मुश्किल है. उपयुक्त मुआवजा नहीं मिलने के कारण रैयत अपनी जमीन ब्रिज के लिए छोड़ना नहीं चाहते हैं. जिससे इस प्रोजेक्ट में निजी जमीन पर अभी तक एक ईंट भी नहीं पड़ी है. प्रभावित लोगों को जमीन का मुआवजा देने के लिए जिला प्रशासन की ओर से कई बार ग्रामसभा आयोजित की गयी, लेकिन विवाद के समाधान का कोई रास्ता नहीं निकला. साथ ही विवाद का समाधान करने की दिशा में रेलवे व जिला प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.

झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल व छत्तीसगढ़ के यात्रियों को परेशानी

बिसरा-बंडामुंडा मुख्य मार्ग पर कुकुड़ा गेट रेलवे फाटक स्थित है. इस मार्ग का इस्तेमाल लोग झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार और पश्चिम बंगाल आने-जाने के लिए करते हैं. मुंबई-हावड़ा जैसे व्यस्त रेलरूट पर स्थित यह रेल फाटक ट्रेनों की आवाजाही के कारण दिन अक्सर बंद रहता है. साथ ही यहां पर आरओबी भी नहीं है. कभी-कभी पांच से छह ट्रेनें गुजरने के बाद ही फाटक खोला जाता है. ऐसे में उक्त राज्यों के यात्रियों को यहां घंटों इंतजार करना पड़ता है. फाटक के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग जाती है तथा जाम की स्थिति देखी जाती है. कई बार यहां पर जाम लगने से एंबुलेंस तक फंस जाती है. जिसे निकालने के लिए पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. केवल एंबुलेंस ही नहीं, बल्कि स्कूल-कॉलेज समेत अपनी-अपनी नौकरी पर जानेवाले लोगों को भी इस जाम के कारण परेशानी का सामना करना पड़ता है.

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