असली शिवसेना को लेकर महाराष्ट्र में एक बार फिर से विवाद गहराता नजर आ रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि एकनाथ गुट ने चुनाव आयोग के सामने खुद को असली शिवसेना होने का दावा किया.

असली शिवसेना होने का दावा करते हुए शिंदे गुट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया हवाला

शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट ने निर्वाचन आयोग के सामने सुप्रीम कोर्ट के 1971 के एक फैसले का हवाला दिया, जिसने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाले समूह को मूल कांग्रेस के रूप में मान्यता दी थी. शिवसेना के एकनाथ शिंदे नीत गुट ने इस फैसले का हवाला बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित पार्टी पर दावा पेश करते हुए दिया.

शिंदे गुट के वकील ने बताया शिवसेना में क्यों आया विभाजन

निर्वाचन आयोग के सामने शिंदे गुट के वकील महेश जेठमलानी ने यह भी कहा कि 2018 में उद्धव ठाकरे द्वारा शिवसेना के संविधान में गुप्त और असंवैधानिक बदलाव और पार्टी में वैचारिक बदलाव आया. इसके चलते पार्टी ने 2019 में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकंपा) के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाई, जो संगठन में विभाजन का कारण बनी. जेठमलानी ने निर्वाचन आयोग के समक्ष representations देने के बाद कहा, असली शिवसेना हम हैं. हमारे पास संख्या बल है और वास्तविक संगठन पर भी हमारा नियंत्रण है. वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ठाकरे गुट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. वह 17 जनवरी को निर्वाचन आयोग के समक्ष अपनी दलील रखेंगे.

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शिंदे के बगावत के बाद गयी थी उद्धव ठाकरे की सरकार

शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के ज्यादातर विधायकों ने बगावत कर दी, जिसके चलते उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार गिर गई और फिर शिंदे पिछले साल जून में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थन से महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बने. तब से शिवसेना के शिंदे और ठाकरे गुटों में संगठन पर नियंत्रण को लेकर लड़ाई चल रही है.