चाईबासा : बसों के इंतजार में घंटों परेशान रहे मुसाफिर, वापस लौटे
जिले में लोस चुनाव का मतदान संपन्न होने के बाद पुलिस बल को बाहर भेजने के लिए बसों की धर-पकड़ तेज हो गयी है. बसों की कमी से शहर आये मुसाफिरों को गंतव्य तक पहुंचने पर परेशानी हुई.
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संवाददाता, चाईबासा
सिंहभूम संसदीय सीट पर लोकसभा चुनाव के बाद अब जिले से पुलिस बलों को दूसरे संसदीय क्षेत्र में मतदान कराने के लिए वाहनों की जरूरत पड़ रही है. ऐसे में यात्री बसों का अधिग्रहण किया जा रहा है. यात्री बसों की धर-पकड़ के कारण बसों का परिचालन लगभग ठप हो गया है. जानकारी के अनुसार, मंगलवार को जमशेदपुर, चक्रधरपुर, रांची, जैंतगढ़, नोवामुंडी आदि जगहों के सफर के लिए सुबह से ही यात्री बस पड़ाव में बैठे रहे, लेकिन घंटों बैठे रहने के बाद भी उन्हें बस नहीं मिली. ऐसे में सफर करने वाले सिर्फ चाईबासा व इसके आसपास के क्षेत्र तक ही जा सके. वहीं भीड़ ज्यादा होने के कारण लोगों को छोटी सवारी गाड़ियों की छत पर बैठकर सफर करना पड़ा.बाहर से वोटिंग करने आये युवा नहीं जा सके
बस नहीं मिलने से सबसे ज्यादा परेशानी यंग वोटरों को हुई, जो बाहर रहकर पढ़ाई और नौकरी करते हैं. ऐसे लोग मतदान के लिए चाईबासा तो पहुंच गये थे, लेकिन मतदान के बाद अब उन्हें लौटने के लिए बस नहीं मिली. वहीं, छठे सेमेस्टर की परीक्षा देने वाले कई विद्यार्थी मंगलवार को रांची नहीं जा सके.50-60 किमी तक के सफर के लिए 150-200 रुपये वसूले
बस पड़ाव पर बसों के नहीं चलने से छोटा हाथी सवारी गाड़ी संचालकों की चांदी रही. सवारी गाड़ियों के संचालक 50-60 किमी तक के सफर के लिए 150- 200 रुपये वसूले गये. इतना ही मनमाना भाड़ा चुकाने के बाद भी कई यात्रियों को छत पर या वाहन में ठूंस-ठूंस कर बैठाया गया.सुबह 4 बजे से बसों की शुरू हुई धर-पकड़
मालूम हो कि चुनाव ड्यूटी के लिए यात्री बसों की धर-पकड़ मंगलवार सुबह चार बजे से ही शुरू हुई. बस पड़ाव पर पुलिस कर्मियों को बसों की धर- पकड़ करते देख बस संचालकों ने अपनी गाड़ियों को वहां से हटाना शुरू कर दिया. देखते ही देखते बस पड़ाव खाली हो गया. वहीं, जो बस को वहां से नहीं हटा पाये, उनके चालक और खलासी बस को लॉक कर वहां से हट गये. नतजीतन सुबह में इक्का- दुक्का यात्री बसों का संचालन हो सका.150 बसों का हुआ था अधिग्रहण : बस संचालक
बस संचालकों का कहना था कि चुनाव ड्यूटी के लिए करीब 150 यात्री बसों का पहले ही अधिग्रहण कर लिया गया था. मतदान खत्म होने के बाद इन यात्री बसों की साफ- सफाई के अलावा मेंटेनेंस का कार्य भी कराया जाना था, लेकिन इससे पूर्व ही दूसरे शहरों में पुलिस बलों को भेजने के लिए बसों की पकड़ शुरू हो गयी.क्या कहते हैं लोग
मैं जमशेदपुर में रहकर जॉब करती हूं. मेरा घर चाईबासा में ही है. मैं पहली बार मतदान करने के लिए चाईबासा आयी थी. मतदान करने के बाद मंगलवार को जमशेदपुर लौटना था, लेकिन घंटों इंतजार के बाद भी बस नहीं मिली. – जानकी तिग्गा
मैं चाईबासा के जेवियर नगर में रहती हूं और रांची में रहकर वहां जॉब करती हूं. मैं अपने घर मतदान करने को आयी थी. प्राइवेट बस स्टैंड पर सुबह 5.30 बजे से ही खड़ी हूं, लेकिन चार घंटा बाद भी रांची या जमशेदपुर के लिए बस नहीं मिली. -आशा रानी टोप्पोमैं रामगढ़ की रहने वाली हूं और चाईबासा में रहकर कॉलेज में पढ़ाई करती हूं. साथ ही जॉब भी करती हूं. मैं पहली बार मतदान करने के लिए रामगढ़ जाना है. पांच घंटे से रांची जाने वाली यात्री बस का इंतजार कर रही हूं, लेकिन नहीं मिली. -आरती कुमारी
मैं खरसावां में रहती हूं. मेरी बेटी ओडिशा के रिमली में रहती है. उसने बच्चे को जन्म दिया है, जिसे देखने के लिए चाईबासा बस पकड़ा कर मुझे रिमली जाना है. सुबह से चाईबासा बस पड़ाव पर बैठी हूं, लेकिन घंटों इंतजार के बाद भी बस नहीं मिली. -कम्बो देवीमैं चाईबासा में ही रहता हूं और रांची के गोस्नर कॉलेज में पढ़ाई कर रहा हूं. अगले दिन मेरी छठे सेमेस्टर की परीक्षा है. मैं पिछले दिन मतदान को रांची से चाईबासा लौटा था. रांची जाने को चार घंटे बाद भी बस नहीं मिल पायी है. -विवेक पूर्ति
मैं सोनुवा का रहने वाला हूं. पिछले दिन मेरे बहनोई का निधन हो गया था, जिनके श्राद्धकर्म को मुझे ओडिशा जाना है, मैं सोनुवा से टेंपो पकड़कर चाईबासा आया हूं, लेकिन सुबह से ही एक भी यात्री बस मुझे नहीं मिल पा रही है. -हेमंत कुमार महतोडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है