रांची, गुमला, चतरा व सरायकेला में सीड हब बनेगा : अटारी निदेशक
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अटारी (पटना) के निदेशक डॉ अंजनी कुमार सिंह ने किसानों को ससमय गुणवत्तायुक्त बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए झारखंड में रांची, गुमला, चतरा एवं सरायकेला कृषि विज्ञान केंद्रों में सीड हब की स्थापना की जायेगी.
रांची (विशेष संवाददाता). भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अटारी (पटना) के निदेशक डॉ अंजनी कुमार सिंह ने किसानों को ससमय गुणवत्तायुक्त बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए झारखंड में रांची, गुमला, चतरा एवं सरायकेला कृषि विज्ञान केंद्रों में सीड हब की स्थापना की जायेगी. इससे राज्य के किसानों को सही समय पर उच्च गुणवत्ता व अधिक उपज देने वाली सरसों की प्रजातियों के बीज उपलब्ध कराये जा सकेंगे. इसके माध्यम से 4000 क्विंटल प्रमाणित बीज का उत्पादन किया जायेगा. बीज उत्पादन का कार्य कृषक भागीदारी के साथ क्लस्टर के माध्यम से किये जायेंगे. डॉ सिंह गुरुवार को दिव्यायन कृषि विज्ञान केंद्र, मोरहाबादी के सभागार में झारखंड में सरसों फसल उत्पादन में वृद्धि पर आयोजित बैठक में बोल रहे थे. इस अवसर पर सरसों अनुसंधान निदेशालय, भरतपुर, राजस्थान के निदेशक डॉ पीके राय ने कहा कि वर्ष 2017-18 में झारखंड के पांच जिलों में सरसों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए योजना की शुरुआत की गयी थी, जिसके परिणामस्वरूप विगत छह वर्षों में राज्य में सरसों के क्षेत्रफल में 216 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गयी है. इसी को ध्यान में रखते हुए झारखंड में सरसों फसल के क्षेत्रफल व उत्पादकता में वृद्धि के लिए 15 जिलों को सरसों अनुसंधान निदेशालय से जोड़ा जा रहा है. बिरसा कृषि विवि के वैज्ञानिक डॉ सोहन राम ने कहा कि सरसों के क्षेत्रफल विस्तार के लिए मध्यम भूमि व दोन-2 भूमि में धान की सीधी बुआई कर सही समय पर इसकी कटाई और ससमय सरसों की बुआई कर सकते हैं. रामकृष्ण मिशन आश्रम के सचिव स्वामी भवेशानंद ने सरसों की जैविक खेती को बढ़ावा देने पर बल देते हुए कहा कि इससे मधुमक्खी पालन को भी बढ़ावा मिलेगा. इस अवसर पर डॉ एके शर्मा सहित 15 कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक सहित अन्य कृषि विशेषज्ञ उपस्थित थे.
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