पुस्तक में अपने नाम के उल्लेख पर रघुवर दास की नाराजगी, कहा- सबने क्लीन चिट दी, एक ही व्यक्ति सत्यवादी नहीं
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सरयू राय की पुस्तक मेनहर्ट नियुक्ति घोटाला : लम्हों की खता में उनके नाम का उल्लेख किये जाने पर नाराजगी जतायी. श्री दास ने कहा है कि झारखंड की जनता को सच जानने का अधिकार है़
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रांची : पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सरयू राय की पुस्तक मेनहर्ट नियुक्ति घोटाला : लम्हों की खता में उनके नाम का उल्लेख किये जाने पर नाराजगी जतायी. श्री दास ने कहा है कि झारखंड की जनता को सच जानने का अधिकार है़ इस मामले को उठा कर विधायक सरयू राय चर्चा में बने रहना चाहते है़ं उनको बताना चाहिए कि वह किस बात को लेकर उनसे नाराज है़ं कहीं ओआरजी को दिया गया ठेका रद्द करने से तो वे नाराज नहीं है़ं इस मामले में सबने क्लीन चीट दी है़ एक व्यक्ति ही सत्यवादी है क्या?
पूर्व मुख्यमंत्री श्री दास ने कहा कि यह मामला बहुत पुराना है़ इसकी जांच भी हो चुकी है़ सचिव ने जांच की, मुख्य सचिव ने जांच की, कैबिनेट में यह मामला गया़ भारत सरकार के पास मामला गया़ वहां से स्वीकृति मिली़ कोर्ट के आदेश के बाद भुगतान किया गया़ सरयू राय को बताना चाहिए कि क्या वह कोर्ट का भी आदेश नहीं मानते है़ं श्री दास ने कहा कि जिस समय भारत सरकार ने इसे स्वीकृति दी, उस समय केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी़ झारखंड में अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में भाजपा-झामुमो गठबंधन की सरकार थी़ मैं ना मुख्यमंत्री था और ना मंत्री था़ श्री राय मेरी छवि धूमिल करने का कोई अवसर नहीं छोड़ते है़ं
सरयू पर तथ्य छुपाने का आरोप : वे कौन लोग थे, जो एक कंपनी विशेष की पैरवी मुझसे और अन्य महत्वपूर्ण जगहों पर करते थे़ वह कौन लोग थे जो उस कंपनी को परामर्शी बनाने के लिए उससे लाभ उठाते थे, बदले में सरकार में कंपनी की पैरवी करते थे़ सरकार बदलते ही मुझे निशाने पर रख कर बिना तथ्यों के आरोप लगाये गये और हर बार आरोप लगाने वाले गलत साबित हुए हैं
पूर्व सीएम ने जो मुद्दे उठाये, विषय बताये : मैनहर्ट का मामला रांची में सीवरेज-ड्रेनेज प्रणाली के निर्माण के लिए परामर्शी चयन के संबंध में उठाया गया था़ इसके खिलाफ दो शिकायतें आयी थी़ उच्च न्यायालय ने मामले को निष्पादित करते हुए, उन्हें अपनी शिकायत निगरानी में करने का निर्देश दिया था़ वर्ष 2010 में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा उपरोक्त आदेश पारित किये जाने के बाद निगरानी ब्यूरो के द्वारा प्रारंभिक जांच के उपरांत रिपोर्ट समर्पित की गयी़
बहरहाल पूरी सुनवाई के बाद माननीय न्यायालय ने मैनहर्ट को भुगतान करने का आदेश पारित किया था़ इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की सरकार ने मैनहर्ट को भुगतान किये जाने का आदेश पारित किया था़ उस समय वित्त मंत्री के तौर पर उप मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन पद पर थे़ मैं सरकार में नहीं था़ श्री दास ने अपनी प्रतिक्रिया में विभागीय जांच, सचिव के द्वारा की गयी जांच, अभियंता प्रमुखों के द्वारा की गयी जांच के साथ विधानसभा कमेटी की जांच को विस्तार से बताया़ इस जांच में मेनहर्ट के चयन को लेकर किसी तरह की अनियमितता नहीं पायी गयी़
Post by : Pritish Sahay