News regarding Pooja Singhal : 28 महीने बाद पूजा सिंघल को जमानत, जेल से बाहर निकलीं
नये कानून (बीएनएसएस की धारा-479) के तहत शनिवार को निलंबित आइएएस पूजा सिंघल को रांची स्थित पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने जमानत दे दी. इससे पहले पूजा सिंघल की ओर से नये कानून के तहत दायर जमानत याचिका पर पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत में सुनवाई हुई.
रांची. नये कानून (बीएनएसएस की धारा-479) के तहत शनिवार को निलंबित आइएएस पूजा सिंघल को रांची स्थित पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने जमानत दे दी. इससे पहले पूजा सिंघल की ओर से नये कानून के तहत दायर जमानत याचिका पर पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत में सुनवाई हुई. इसके बाद पूजा सिंघल को राहत देते हुए कोर्ट ने जमानत की सुविधा प्रदान की. साथ ही जमानत को लेकर दो-दो लाख रुपये के दो निजी मुचलकों पर उन्हें जमानत देने का आदेश दिया. इसके अलावा पूजा सिंघल को अपना पासपोर्ट पीएमएलए कोर्ट में जमा करने का आदेश दिया. आदेश के बाद पूजा सिंघल की ओर से दो-दो लाख का दो मुचलके और पासपोर्ट जमा किया गया. इसके बाद कोर्ट से रिहाई संबंधी आदेश मिलने के बाद जेल से वह देर शाम निकलीं.
अदालत ने बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के अधीक्षक से मांगी जानकारी
मामले की सुनवाई के दौरान पूर्व में पीएमएलए कोर्ट ने बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार के अधीक्षक को यह बताने का निर्देश दिया था कि पूजा सिंघल कब से जेल में हैं और उनकी न्यायिक हिरासत की अवधि कितनी हुई है? इस पर जेल अधीक्षक की ओर से कोर्ट में जवाब दाखिल कर बताया गया गया कि पूजा सिंघल अब तक 28 माह से जेल में बंद हैं. यह नये कानून के तहत सात वर्ष की सजा का एक तिहाई है. इसलिए इन्हें कोर्ट से जमानत मिली. यह जमानत बीएनएसएस की धारा-479 के प्रावधान के तहत दिया गया है. उल्लेखनीय है कि इडी ने पांच मई 2022 को पूजा सिंघल के 25 ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस दौरान सीए सुमन सिंह के आवास और कार्यालय से 19.31 करोड़ रुपये नकद बरामद हुए थे. वहीं, सीएम सुमन के बाद पूजा सिंघल को 11 मई 2022 को इडी ने गिरफ्तार किया था.बीएनएसएस की धारा-479 में जमानत का प्रावधान
बीएनएसएस (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता) की धारा-479 विचाराधीन कैदियों को हिरासत में रखने की अधिकतम समय-सीमा से जुड़ा है. इसका प्रावधान उन लोगों पर लागू होता है, जिन पर ऐसे अपराधों के लिए जांच, पूछताछ, या मुकदमा चल रहा है, जिनमें सजा में मौत या उम्रकैद शामिल नहीं है. इस धारा के तहत, पहली बार अपराध करनेवाले लोगों को कुछ खास शर्तों पर जमानत मिल सकती है. अगर किसी विचाराधीन कैदी ने कथित अपराध के लिए तय अधिकतम सजा का आधा समय तक जेल में बिताया है, तो उसे जमानत पर रिहा कर दिया जायेगा. वहीं, अगर किसी विचाराधीन कैदी ने कथित अपराध के लिए तय अधिकतम सजा का एक तिहाई समय तक जेल में बिताया है, तो उसे बॉन्ड पर रिहा कर दिया जायेगा. इस प्रावधान का लाभ उन लोगों को नहीं मिलेगा, जिन पर मौत या उम्रकैद की सजा का प्रावधान है. इसके अलावा कई आरोपों का सामना करनेवाले व्यक्ति उक्त धारा के तहत जमानत के लिए पात्र नहीं होंगे. भले ही उन्होंने उनमें से किसी भी आरोप के लिए तय अधिकतम सजा का एक तिहाई या आधा से ज्यादा समय जेल में बिताया हो.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है