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रांची: झारखंड की राजधानी रांची के गौरव टैगोर हिल स्थित ब्रह्ममंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा. 60 लाख रुपए की लागत से इसका जीर्णोद्धार किया जाएगा. रांची से बीजेपी सांसद संजय सेठ ने शनिवार को इसका शिलान्यास किया. इस दौरान उनके साथ कांके विधायक समरी लाल, एसडी सिंह मौजूद थे. सांसद संजय सेठ ने कहा कि इतना पवित्र और प्रेरक स्थल बिल्कुल उजड़ा हुआ दिखता है. यह पूरे देश की धरोहर है, परंतु दुर्भाग्य है कि सरकार का बिल्कुल भी ध्यान इस पर नहीं है. यहां समुचित प्रकाश की व्यवस्था तक नहीं है. ना शौचालय की व्यवस्था है. सीढ़ियों के टाइल्स टूटे हुए हैं. यह स्थल असामाजिक तत्वों का अड्डा बना हुआ है. यहां बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं. राज्य सरकार से भी उनका आग्रह है कि इस राष्ट्रीय धरोहर की रक्षा की जाए. इसकी अस्मिता को बचाया जाए. इसका मान-सम्मान बरकरार रखा जाए. यह रांची का ताज है. ऐसा मानकर सरकार को इसके विकास की योजना बनानी चाहिए, ताकि लोगों का रुझान इस तरफ हो.
60 लाख रुपए से ब्रह्ममंदिर का होना है जीर्णोद्धार
सांसद संजय सेठ की पहल और अनुशंसा पर लगभग 60 लाख रुपए की लागत से इस ब्रह्ममंदिर का जीर्णोद्धार किया जाना है. इस अवसर पर संजय सेठ ने कहा कि टैगोर हिल रांची नहीं पूरे देश की अमूल्य धरोहर है. यहां रवींद्र नाथ टैगोर के बड़े भाई जितेंद्रनाथ टैगोर ने कई रचनाएं की थीं. यह उनके लिए तपोस्थली है. करीब 100 वर्ष पूर्व यहां पर बैठकर की गई रचनाएं आज देश-दुनिया में लोकप्रियता हासिल कर रही हैं, परंतु जिस स्थान पर रचना हुई, उस प्रेरणास्थल को ही लावारिस स्थिति में छोड़ दिया गया. बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतने दिनों तक इसके रखरखाव पर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया. कोरोना संक्रमण काल के बाद मैंने इस पर संज्ञान लिया. इसके जीर्णोद्धार के लिए प्रयास आरंभ हुआ. उसका सुखद परिणाम है कि 60 लाख रुपए की लागत से ब्रह्म मंदिर के जीर्णोद्धार की स्वीकृति सरकार ने दी है.
बदहाल है देश की धरोहर
सांसद संजय सेठ ने कहा कि यहां की स्थिति बहुत खराब है. इतना पवित्र और प्रेरक स्थल बिल्कुल उजड़ा हुआ दिखता है. यह पूरे देश की धरोहर है, परंतु दुर्भाग्य है कि सरकार का बिल्कुल भी ध्यान इस पर नहीं है. यहां समुचित प्रकाश की व्यवस्था तक नहीं है. ना शौचालय की व्यवस्था है. सीढ़ियों के टाइल्स टूटे हुए हैं. यह स्थल असामाजिक तत्वों का अड्डा बना हुआ है. यहां बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं. उनका प्रयास होगा कि वे इसे और बेहतर बना सकें. राज्य सरकार से भी उनका आग्रह है कि इस राष्ट्रीय धरोहर की रक्षा की जाए. इसकी अस्मिता को बचाया जाए. इसका मान-सम्मान बरकरार रखा जाए. यह रांची का ताज है. ऐसा मानकर सरकार को इसके विकास की योजना बनानी चाहिए, ताकि लोगों का रुझान इस तरफ हो. देश के साहित्यकार, संगीतकार, कला क्षेत्र से जुड़े लोगों का आकर्षण इस ब्रह्मामंदिर की तरफ हो. यह पर्यटन की दृष्टि से, सृजन की दृष्टि से, रचनात्मकता की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण कदम होगा.