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Jharkhand News: लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष सह खूंटी के पूर्व सांसद पद्मश्री कड़िया मुंडा ने कहा है कि जिस तरह आदिवासियों के अधिकारों पर कब्जा हो रहा है, यह ठीक नहीं है. यह लड़ाई आदिवासियों को जागृत करने के लिए है. अभी भी आदिवासी जागृत नहीं हुए, तो आनेवाली पीढ़ी आदिवासी को किताबों में पढ़ेगी. पढ़े जायेंगे कि एक समुदाय था. जंगलों में रहते थे. आदिवासी इतिहास हो जायेंगे. अगर इसको जीवित रखना है, तो जनजातीय समाज से दूसरे धर्म में जानेवालों को आरक्षण देना बंद करना होगा. श्री मुंडा रविवार को रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित डी-लिस्टिंग रैली में बोल रहे थे. इसका आयोजन जनजातीय सुरक्षा मंच की झारखंड शाखा ने किया.
रैली में शामिल होनेवालों को रोका गया
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कड़िया मुंडा ने कहा कि झारखंड की वर्तमान सरकार ने रैली में आनेवाले लोगों को कई स्थानों पर रोक लिया. इससे वर्तमान राज्य सरकार की मंशा में खोट दिखता है. उन्होंने कहा कि सरकार किसी समुदाय विशेष की नहीं होती है.
संविधान की धारा 342 में संशोधन हो
कड़िया मुंडा ने कहा कि जो काम आज से 50 साल पहले हो जाना चाहिए था, वह नहीं हो पाया है. अब एकजुट होकर हमें सरकार को बताना होगा कि हम क्या चाहते हैं. संविधान की धारा 342 में जो लिखा है, उसमें संशोधन करना होगा. आरक्षण केवल जनजातीय को ही मिलना चाहिए. धर्म बदलनेवालों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए. इसी मांग को लेकर हम लोगों को दिल्ली जाना है. दिल्ली में पांच लाख से अधिक आदिवासी इसी मांग को लेकर जुटेंगे.
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