Jharkhand: रथ यात्रा आज, 16 दिनों के एकांतवास के बाद भगवान जगन्नाथ देंगे दर्शन
रांची के जगन्नाथपुर स्थित मंदिर में आज 16 दिनों के एकांतवास के बाद भगवान जगन्नाथ, भैया बलभद्र और बहन सुभद्रा संग भक्तजनों को दर्शन देंगे. आज की पूजा से पूर्व गुरुवार की शाम नेत्रदान किया गया. इसके बाद आज रथपर सवार होकर भगवान जगन्नाथ, भैया बलभद्र और बहन सुभद्रा मौसीबाड़ी जायेंगे.
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Rath Yatra Ranchi: रथ यात्रा आज मनाई जा रही है. रांची के जगन्नाथपुर स्थित मंदिर में आज 16 दिनों के एकांतवास के बाद भगवान जगन्नाथ, भैया बलभद्र और बहन सुभद्रा संग भक्तजनों को दर्शन देंगे. आज की पूजा से पूर्व गुरुवार की शाम नेत्रदान किया गया. इसकेबाद आज रथपर सवार होकर भगवान जगन्नाथ, भैया बलभद्र और बहन सुभद्रा मौसीबाड़ी जायेंगे. बड़ी संख्या में भक्त रथ खींचेंगे. मंदिर प्रबंधन के साथ=साथ इस आयोजन को लेकर प्रशासनिक तैयारियां की गई हैं.
सुबह पांच बजे से हो रही पूजा-अर्चना
धुर्वा जगन्नाथपुर मंदिर में भक्तों की भीड़ अहले सुबह से ही लगी हुई है. लोग एक-एक कर दर्शन कर रहे हैं. भक्तों को पूजा करने में दिक्कत न हो, इसकी समुचित व्यवस्था की गई है. मुख्य द्वार से भक्तों को प्रवेश कराया जा रहा है, वहीं दूसरे द्वार से निकासी की व्यवस्था की गई है. इस दौरान कोरोना के गाइडलाइन पर भी ध्यान दिया जा रहा है. आज दिनभर पूजा-अर्चना की जायेगी. इसके बाद शाम 4.30 बजे से रथ खींचने के कार्यक्रम की शुरुआत होगी.
40 लाख की लागत में 25 फीट ऊंचा बना रथ
इस वर्ष जगन्नाथपुर मंदिर में रथ यात्रा दो साल बाद निकाला जा रहा है. वहीं सार्वजनिक पूजा व रथ यात्रा आयोजित किया गया है. दो साल बाद भक्त इस ऐतिहासिक पूजा में शामिल हो पा रहे हैं. आज शाम 4.30 बजे जगन्नाथपुर के मुख्य मंदिर से मौसीबाड़ी के लिए रथ यात्रा निकलेगी. बता दें प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा के रथ बनाने पर 40 लाख रुपये खर्च किया गया है. इस वर्ष भगवान जगन्नाथ, भैया बलभद्र और बहन सुभद्रा 10 साल बाद बनाये गये नये रथ में सवार होकर मौसी के घर जायेंगे. 45 दिनों में इस रथ को तैयार किया गया है. रथ की ऊंचाई 42 फिट वहीं लंबाई-चौड़ाई 26 फिट है.
सीमित रूप में होगा मेले का आयोजन
कोरोना संक्रमण के कारण दो साल से रथयात्रा नहीं निकल पायी थी. रथ यात्रा नहीं निकलने की वजह से मेले का भी आयोजन नहीं हो सका. इस साल मेले का आयोजन किया जा रहा है. मेला भव्य तरीके से नहीं लेकिन सरल और छोटे रूप में मेला लगाया गया है. इससे व्यापारियों तथा श्रद्धालुओं ने काफी निराशाजनक भाव देखने को मिला. इस उत्सव में 600 से 800 दुकानें लगा करती थी जिससे व्यापारियों को काफी मुनाफा होता था. इस रथयात्रा में दूर-दूर से लोग पहुंचकर शामिल हुआ करते थे.