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Jharkhand News : डॉ महेश्वर पर भ्रष्टाचार के आरोपों का हाइकोर्ट ने लिया संज्ञान, डीसी, सीएस समेत डीजीपी को दिया गया ये निर्देश, जानें पूरा मामला

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east singh bhum news, jharkhand pradhan mantri yojna arogya scam. जमशेदपुर : पूर्व सिविल सर्जन डॉ महेश्वर प्रसाद के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों वाली याचिका पर संज्ञान लेते हुए झारखंड हाइकोर्ट ने पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त, सिविल सर्जन समेत मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, डीजीपी और स्वास्थ्य सचिव को शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है. बागबेड़ा निवासी कुमार मनीष ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर प्रधानमंत्री जन आरोग्य आयुष्मान योजना में भ्रष्टाचार, अनाधिकृत तरीके से अल्ट्रासाउंड सेंटरों को लाइसेंस जारी करने, नेशनल हेल्थ मिशन और रिवाइज्ड नेशनल टीबी कंट्रोल प्रोग्राम के तहत बहाली में अनियमितता बरतने का आरोप लगाया है. स्टेट बार काउंसिल के महासचिव नवीन कुमार द्वारा दायर याचिका पर हाइकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए सरकार को नोटिस जारी किया है.

हाइकोर्ट में कुमार मनीष द्वारा दायर याचिका में पूर्व सिविल सर्जन डॉक्टर महेश्वर प्रसाद पर प्रधानमंत्री जन आरोग्य आयुष्मान योजना में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाये गये हैं. सरकार के मानक को दरकिनार कर निजी अस्पतालों को लाइसेंस देने और क्लेम में अनियमितता के आरोप डॉ महेश्वर प्रसाद पर लगाये गये हैं. पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत केंद्र सरकार की गाइडलाइन को दरकिनार करते हुए तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ महेश्वर प्रसाद ने कई अल्ट्रासाउंड सेंटरों को समुचित पदाधिकारी बनकर लाइसेंस जारी कर दिया, जबकि यह अधिकार सिर्फ और सिर्फ जिले के उपायुक्त को है.

लाइसेंस जारी होने के छह से सात माह बाद भी अनाधिकृत लाइसेंस पर अल्ट्रासाउंड सेंटरों को अब तक संचालित किया जा रहा है. इसके अलावा एनएचएम के तहत टीबी विभाग में कई पदों पर नियुक्ति में भ्रष्टाचार और गड़बड़ी की शिकायत की जांच की गयी थी. इसमें फर्जी प्रमाणपत्र पर नियुक्ति, बर्खास्तगी की अनुशंसा के बावजूद अंक में हेराफेरी कर आवेदक को नियुक्ति देने समेत नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाये गये थे. लगातार मिल रही शिकायतों को दरकिनार कर बिना जांच कार्रवाई के पूर्व सिविल सर्जन ने बहाली को अंतिम रूप देते हुए सभी की प्रतिनियुक्ति की.

कुमार मनीष की शिकायत पर डीआरडीए निदेशक ने बहाली में बड़े पैमाने पर अनियमितता पाते हुए नियुक्ति प्रक्रिया को निरस्त करने की अनुशंसा की थी. वहीं, कोल्ड चेन हैंडलर की बहाली में भी मानक को दरकिनार कर, फर्जी प्रमाणपत्र देकर नियुक्ति के मामले में गड़बड़ी सामने आने के बाद भी कोई कार्रवाई सिविल सर्जन अथवा उपायुक्त के स्तर पर नहीं की गयी. इसके बाद कुमार मनीष ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर भ्रष्टाचार की जांच व कार्रवाई का अनुरोध किया था.

आयुष्मान योजना में भ्रष्टाचार, अनाधिकृत तरीके से अल्ट्रासाउंड सेंटरों को लाइसेंस जारी करने और बहाली में अनियमितता को लेकर दाखिल की है याचिका

प्रभात खबर ने लगातार उठाये थे फर्जीवाड़े के मामले

अल्ट्रासाउंड सेंटरों को पूर्व सिविल सर्जन द्वारा अनाधिकृत रूप से लाइसेंस जारी करने, उसी अनाधिकृत लाइसेंस पर सेंटरों का छह माह से अधिक समय तक संचालन करने का मामला प्रभात खबर ने गंभीरता से उठाया था. प्रभात खबर की रिपोर्ट पर मंत्री चंपई सोरेन व उपायुक्त ने जांच कराने की बात कही थी, लेकिन अब तक मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. टीबी विभाग की नियुक्तियों में गड़बड़ी व भ्रष्टाचार के मामलों को प्रभात खबर ने साक्ष्य के साथ चरणबद्ध तरीके से प्रकाशित कर सरकार व प्रशासन को हकीकत बताने का प्रयास किया था.

Posted by : Sameer Oraon

east singh bhum news, jharkhand pradhan mantri yojna arogya scam. जमशेदपुर : पूर्व सिविल सर्जन डॉ महेश्वर प्रसाद के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों वाली याचिका पर संज्ञान लेते हुए झारखंड हाइकोर्ट ने पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त, सिविल सर्जन समेत मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, डीजीपी और स्वास्थ्य सचिव को शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है. बागबेड़ा निवासी कुमार मनीष ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर प्रधानमंत्री जन आरोग्य आयुष्मान योजना में भ्रष्टाचार, अनाधिकृत तरीके से अल्ट्रासाउंड सेंटरों को लाइसेंस जारी करने, नेशनल हेल्थ मिशन और रिवाइज्ड नेशनल टीबी कंट्रोल प्रोग्राम के तहत बहाली में अनियमितता बरतने का आरोप लगाया है. स्टेट बार काउंसिल के महासचिव नवीन कुमार द्वारा दायर याचिका पर हाइकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए सरकार को नोटिस जारी किया है.

हाइकोर्ट में कुमार मनीष द्वारा दायर याचिका में पूर्व सिविल सर्जन डॉक्टर महेश्वर प्रसाद पर प्रधानमंत्री जन आरोग्य आयुष्मान योजना में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाये गये हैं. सरकार के मानक को दरकिनार कर निजी अस्पतालों को लाइसेंस देने और क्लेम में अनियमितता के आरोप डॉ महेश्वर प्रसाद पर लगाये गये हैं. पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत केंद्र सरकार की गाइडलाइन को दरकिनार करते हुए तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ महेश्वर प्रसाद ने कई अल्ट्रासाउंड सेंटरों को समुचित पदाधिकारी बनकर लाइसेंस जारी कर दिया, जबकि यह अधिकार सिर्फ और सिर्फ जिले के उपायुक्त को है.

लाइसेंस जारी होने के छह से सात माह बाद भी अनाधिकृत लाइसेंस पर अल्ट्रासाउंड सेंटरों को अब तक संचालित किया जा रहा है. इसके अलावा एनएचएम के तहत टीबी विभाग में कई पदों पर नियुक्ति में भ्रष्टाचार और गड़बड़ी की शिकायत की जांच की गयी थी. इसमें फर्जी प्रमाणपत्र पर नियुक्ति, बर्खास्तगी की अनुशंसा के बावजूद अंक में हेराफेरी कर आवेदक को नियुक्ति देने समेत नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाये गये थे. लगातार मिल रही शिकायतों को दरकिनार कर बिना जांच कार्रवाई के पूर्व सिविल सर्जन ने बहाली को अंतिम रूप देते हुए सभी की प्रतिनियुक्ति की.

कुमार मनीष की शिकायत पर डीआरडीए निदेशक ने बहाली में बड़े पैमाने पर अनियमितता पाते हुए नियुक्ति प्रक्रिया को निरस्त करने की अनुशंसा की थी. वहीं, कोल्ड चेन हैंडलर की बहाली में भी मानक को दरकिनार कर, फर्जी प्रमाणपत्र देकर नियुक्ति के मामले में गड़बड़ी सामने आने के बाद भी कोई कार्रवाई सिविल सर्जन अथवा उपायुक्त के स्तर पर नहीं की गयी. इसके बाद कुमार मनीष ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर भ्रष्टाचार की जांच व कार्रवाई का अनुरोध किया था.

आयुष्मान योजना में भ्रष्टाचार, अनाधिकृत तरीके से अल्ट्रासाउंड सेंटरों को लाइसेंस जारी करने और बहाली में अनियमितता को लेकर दाखिल की है याचिका

प्रभात खबर ने लगातार उठाये थे फर्जीवाड़े के मामले

अल्ट्रासाउंड सेंटरों को पूर्व सिविल सर्जन द्वारा अनाधिकृत रूप से लाइसेंस जारी करने, उसी अनाधिकृत लाइसेंस पर सेंटरों का छह माह से अधिक समय तक संचालन करने का मामला प्रभात खबर ने गंभीरता से उठाया था. प्रभात खबर की रिपोर्ट पर मंत्री चंपई सोरेन व उपायुक्त ने जांच कराने की बात कही थी, लेकिन अब तक मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. टीबी विभाग की नियुक्तियों में गड़बड़ी व भ्रष्टाचार के मामलों को प्रभात खबर ने साक्ष्य के साथ चरणबद्ध तरीके से प्रकाशित कर सरकार व प्रशासन को हकीकत बताने का प्रयास किया था.

Posted by : Sameer Oraon

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