रांची: कुड़मी समाज की हुंकार महारैली (Hunkar Maharally In Ranchi) में मुख्य संयोजक शीतल ओहदार ने कहा कि अब समाज अपने संवैधानिक अधिकार को लेकर सचेत हो चुका है. कुड़मी समाज को सभी राजनीतिक दलों ने छलने का काम किया है. आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी ने कुड़मी/कुरमी जनजाति को धोखे में रखकर अनुसूचित जनजाति की सूची से हटाया. अब बीजेपी छलने का काम कर रही है. यदि केंद्र सरकार कुड़मियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध नहीं करती है और कुड़माली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं करती है तो लोकसभा चुनाव में इसका परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे. वे रविवार को मोरहाबादी मैदान में आयोजित हुंकार महारैली को संबोधित कर रहे थे.

एसटी का दर्जा मांग रहे कुड़मी
झारखंड की राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में रविवार को टोटेमिक कुड़मी/कुरमी (महतो) समाज द्वारा हुंकार महारैली आयोजित की गयी थी. इसकी अध्यक्षता मुख्य संयोजक शीतल ओहदार ने की, जबकि संचालन केंद्रीय कोषाध्यक्ष सह मीडिया प्रभारी सखीचंद महतो ने किया. महारैली में झारखंड के विभिन्न जिलों से समाज के लोग अपने पारंपरिक वेशभूषा, पारंपरिक नाच-गाना करते हुए ढोल-नगाड़ा के साथ (झुमर, छोह, नटुवा, पैका) शामिल हुए. कुड़मी/कुरमी समाज की पुरानी मांग अनुसूचित जनजाति (ST) की सूची में सूचीबद्ध करने और कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने को लेकर बुलायी गयी थी.

झारखंड: हुंकार महारैली में उमड़ेगा कुड़मियों का जनसैलाब, विरोधियों को देंगे मुंहतोड़ जवाब, बोले शीतल ओहदार

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा पर साधा निशाना
शीतल ओहदार ने हुंकार महारैली के माध्यम से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा से कहा कि कुड़मियों को उन्होंने सबसे अधिक धोखा देने का काम किया है. 2004 में मुख्यमंत्री रहते जब आपने कुड़मी जनजाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध करने की अनुशंसा केंद्र से की थी, तो अब आप किस मुंह से कहते हैं कि केंद्र के पास कुड़मियों का कोई मामला लंबित नहीं है. शीतल ओहदार ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले यदि केंद्र सरकार अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध करने की कार्रवाई शुरू नहीं करती है तो झारखंड में बीजेपी को कुड़मी बहुल नौ लोकसभा सीटों से जीतने नहीं दिया जाएगा.

झारखंड: मुरी रेल रोको आंदोलन के छह कुड़मी आंदोलनकारियों को मिली बेल, ST का दर्जा देने की कर रहे हैं मांग

हुंकार महारैली को इन्होंने भी किया संबोधित
हुंकार महारैली को गोमिया विधायक लंबोदर महतो, पूर्व विधायक केशव महतो कमलेश, प्रधान महासचिव रामपोदो महतो, महिला केंद्रीय अध्यक्ष सुषमा देवी, युवा मोर्चा अध्यक्ष थानेश्वर महतो, केंद्रीय महासचिव कपिल देव महतो, कुड़मी सेना अध्यक्ष लालटु महतो, केंद्रीय महासचिव मुरलीधर महतो, संरक्षक दानि सिंह महतो, केंद्रीय महासचिव सपन कुमार महतो, केंद्रीय सचिव हेमलाल महतो, सिल्ली विधानसभा प्रभारी शशि रंजन महतो, कुरमी विकास परिषद अध्यक्ष रणधीर चौधरी, कुरमी विकास परिषद महासचिव राजेंद्र महतो, वरिष्ठ समाजसेवी भुनेश्वर महतो, केंद्रीय सचिव रूपलाल महतो, केंद्रीय मीडिया प्रभारी ओमप्रकाश महतो आदि ने संबोधित किया.

झारखंड : कुड़मी को आदिवासी का दर्जा देने पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने दिया बड़ा बयान, देखें VIDEO

हुंकार महारैली में ध्वनिमत से आठ प्रस्ताव पारित

  1. टोटेमिक कुड़मी/कुरमी जनजाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध होने एवं कुरमाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने तक संवैधानिक लड़ाई एकजुट होकर जारी रखी जाए.
  2. समाज के वीर शहीद योद्धा स्वतंत्रता सेनानियों और झारखंड आंदोलनकारियों को केंद्र और राज्य सरकार द्वारा शहीद का दर्जा दिलाने के लिए संघर्ष जारी रखा जाए.
  3. अपनी भाषा संस्कृति और परब- त्योहार करम, जितिया, सोहराय(बंदना), टुसू, सरहुल आदि को मूल रखा जाए. बाहरी संस्कृति और पर्व से हमारी परंपरा को ठेस पहुंच रही है उसे पूर्णत: रोका जाए.
  4. अपने समाज के सामाजिक विचार रखने वाले राजनेताओं को उनके राजनीतिक भागीदारी में बढ़ावा दिया जाए.
  5. समाज के कर्णधार बेटा और बेटी को समान रूप से शिक्षित किया जाए‌.
  6. समाज में पनप रहे नशापान और दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों को जड़ से मिटाया जाए.
  7. जन्म से लेकर मृत्यु तक सभी संस्कार कुड़मी नेगाचारी से संपन्न हो. जैसे- शादी का रश्म हांड़ी विहा अथवा भंगटौवा विहा गांव के मैड़ला महतो द्वारा संपन्न हो तथा मारखी घाट कमान दस के दिन ही संपन्न किया जाए.
  8. संपूर्ण झारखंड में प्रत्येक कुड़मी गांव तक घूम-घूम कर लगातार 20 वर्षों से नि:स्वार्थ कुड़मी/ कुरमी जनजाति को एक सूत्र में बांधने वाले और समाज की संवैधानिक अधिकार के लिए लड़ने वाले टोटेमिक कुड़मी/ कुरमी (महतो) समाज के मुख्य संयोजक शीतल ओहदार को समाज का अगुवा घोषित किया गया.

कुड़मी को आदिवासी का दर्जा देने का कोई मामला केंद्र के पास लंबित नहीं : केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा

कुड़मियों को अनुसूचित जनजाति में सूचीबद्ध होने के ठोस तथ्य
1913 को प्रकाशित इंडिया गजट नोटिफिकेशन नंबर 550 में ओबरिजिनल एनीमिस्ट मानते हुए छोटानागपुर के कुड़मियों को अन्य आदिवासियों के साथ भारतीय उत्तराधिकार कानून 1865 के प्रावधानों से मुक्त रखा गया तथा 16 दिसंबर 1931 को प्रकाशित बिहार-उड़ीसा गजट नोटिफिकेशन नंबर 49 पटना में भी साफ-साफ उल्लेख किया गया कि बिहार-उड़ीसा में निवास करने वाले मुंडा, उरांव, संथाल, हो, भूमिज, खड़िया, घासी, गोंड़, कांध कोरवा, कुड़मी माल सौरिया और पान को प्रिमिटिव ट्राइब मानते हुए भारतीय उत्तराधिकार कानून 1925 से मुक्त रखा गया. कुड़मी जनजाति को सेंसस रिपोर्ट 1901 के वॉल्यूम (1) में पेज नं 328- 993 में, सेंसस रिपोर्ट 1921 के वॉल्यूम (1) में पेज नं 356-365 में स्पष्ट रूप से कुड़मी जनजाति को ओबरिजिनल एनीमिस्ट के रूप में दर्ज किया गया. पटना हाईकोर्ट ने कई जजमेंट में कड़मी को जनजाति माना है. इनके अलावा बहुत सारे दस्तावेज भी मौजूद हैं.

हुंकार महारैली को सफल बनाने में इनका रहा योगदा
क्षेत्र मोहन महतो, खुदीराम महतो, रूपलाल महतो ,सोना लाल महतो, राजू महतो, ललित मोहन महतो रघुनाथ महतो रंजीत महतो डब्लू महतो,संजय कुमार महतो, मनीष महतो ,नागेश्वर महतो, वीरेंद्र महतो, उपेंद्र महतो, सुनील महतो, सुरेश महतो, अशोक महतो, आनंद महतो, दिनेश महतो ,किशोर महतो, दीपक महतो, प्रेमलाल महतो आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही.