झारखंड सरकार को बीते तीन वित्तीय वर्ष ( 2019- 20 से 2021- 22 ) में कोयले की रॉयल्टी से 8340.78 करोड़ रुपये प्राप्त हुए. राज्य में कोल इंडिया की तीन अनुषंगी इकाइयां हैं. इसमें सबसे अधिक रॉयल्टी सीसीएल से मिलती है. तीनों कंपनियों से राज्य को सालाना औसतन 2700 करोड़ रुपये के आसपास रॉयल्टी से मिलती है. झारखंड में कोल इंडिया की तीन खनन कंपनियां (बीसीसीएल, सीसीएल और इसीएल) संचालित है. इसके अतिरिक्त एक अनुसंधान इकाई (सीएमपीडीआइ) कार्यरत है. इसीएल का मुख्यालय आसनसोल में है, लेकिन इसके कुछ खदान झारखंड में अवस्थित है. इसका रॉयल्टी झारखंड सरकार को मिलती है.

बीते साल तीन हजार करोड़ से अधिक मिली रॉयल्टी

झारखंड को बीते साल तीनों कंपनियों से रॉयल्टी के मद में 3028 करोड़ रुपये से अधिक राशि मिली थी. 2019-20 में करीब 2754.16 करोड़ रुपये राजस्व के रूप में मिला था. वहीं 2020-21 में झारखंड को करीब 2558 करोड़ रुपये राजस्व के रूप में मिला था.

वित्तीय वर्ष में किस कंपनी से कितनी रॉयल्टी मिली

सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड

2021- 22 1657.38

2020- 21 1331.37

2019- 20 1208.27

इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड

2021- 22 208.37

2020- 21 315.53

2019- 20 494.87

भारत कोकिंग कोल लिमिटेड

2021- 22 1162.51

2020- 21 911.46

2019- 20 1051.02

(राशि करोड़ रुपये में)

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जेबीवीएनएल ने टैरिफ प्रस्ताव पर मांगी आपत्ति

झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग (जेबीवीएनएल) ने वित्तीय वर्ष 2021-22 का टैरिफ पिटीशन जारी कर आम जनता से आपत्ति की मांग की है. यह टैरिफ पिटीशन नवंबर 2020 में दाखिल की गयी थी. पर आयोग में अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति न होने की वजह से इस टैरिफ पर फैसला नहीं हो सका था. अब जब झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग में अध्यक्ष व सदस्य पूर्ण रूप से काम करने लगे हैं, तब फिर टैरिफ की प्रक्रिया आरंभ हुई है. आयोग ने जेबीवीएनएल को वित्तीय वर्ष 2021-22 के टैरिफ पर जनता से आपत्ति मंगाने का निर्देश दिया. इसके बाद जेबीवीएनएल ने विज्ञापन जारी कर टैरिफ पर आपत्ति मंगायी है. हालांकि इसी बीच जेबीवीएनएल ने 30 नवंबर 2021 को वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए टैरिफ पिटीशन दाखिल की थी. इस पर भी आयोग में सदस्यों के न होने की वजह से सुनवाई नहीं हो सकी थी.