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रांची: झारखंड सरकार जाति आधारित जनगणना कराने के पक्ष में हैं. लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इसे कौन विभाग करायेगा. फिलहाल इस बिंदु पर जानकारी के लेने की प्रक्रिया चल रही है. विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश एक्शन टेकेन रिपोर्ट (एटीआर) में इस बात का उल्लेख किया गया है राज्य में जाति आधारित जनगणना कराने से संबंधित सवाल ध्यानाकर्षण के माध्यम से सदन में लाया गया था. विधायक प्रदीप यादव ने सदन में पूछा था कि क्या राज्य सरकार जाति आधारित जनगणना कराना चाहती है या नहीं.इस सवाल के जवाब पर ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने आश्वासन देते हुए यह कहा था कि हमलोगों ने यह स्वीकार किया है कि जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए.
इस आश्वासन पर की गयी कार्रवाई से संबंधित रिपोर्ट विधानसभा में संसदीय कार्य सह ग्रामीण विकास मंत्री ने पेश किया. एटीआर में यह कहा गया है कि जाति आधारित जनगणना का काम ग्रामीण विकास विभाग से संबंधित नहीं है. राज्य कार्यपालिका नियमावली में जनगणना का काम भूमि एवं राजस्व सुधार विभाग को आवंटित है. लेकिन जाति आधारित जनगणना का काम कार्यपालिका नियमावली में किसी विभाग को आवंटित नहीं है. ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जाति आधारित जनगणना के सिलसिले में मार्ग दर्शन मांगी गयी है. मार्ग दर्शन के बिंदु पर मंत्रिमंडल सचिवालय समन्वय विभाग नें प्रक्रियाधीन है. विधानसभा में पेश एटीआर मेें कुल तीन आश्वासनों पर की गयी कार्रवाई का उल्लेख किया गया है.
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राजनीतिक दल उठाते रहे मांग, सदन में उठता रहा है मामला
रांची : बिहार की तर्ज पर जाति जनगणना की मांग राजनीतिक दल उठाते रहे हैं. सदन और सदन के बाहर इस मांग को लेकर आवाज उठती रही है. राजनीतिक पार्टियों की दलील है कि बिहार की तरह झारखंड में भी स्पष्ट होना चाहिए कि किस जाति की कितनी संख्या है. इसके आधार पर हिस्सेदारी तय होनी चाहिए. कांग्रेस, राजद, आजसू सहित अन्य दल इसकी मांग प्रमुखता से करते रहे हैं. आजसू के विधायक इससे जुड़े सवाल सदन के अंदर उठाते रहे हैं.