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गुरु अर्जुन देव का 461वां प्रकाशोत्सव मना

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मेदिनीनगर. मंगलवार को सिख धर्म के पांचवें गुरु अर्जुन देव का 461 वां प्रकाशोत्सव मनाया गया. इस अवसर पर शहर के बेलवाटिका स्थित गुरुद्वारा में गुरु ग्रंथ साहिब का दीवान सजाया गया. स्थानीय रागी जत्था के जसविंदर कौर, हनी कौर, हरप्रीत कौर, पाली कौर ने गुरु वाणी के बाद शबद-गायन कीर्तन किया. हजूरी रागी ज्ञानी सुंदर सिंह ने गुरु अर्जुन देव के जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला. कहा कि गुरु अर्जुन देव गुरु रामदास के पुत्र थे. 1563 ईस्वी में वैशाख मास की सप्तमी तिथि को अमृतसर में उनका जन्म हुआ था. वे बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे. उनके धार्मिक एवं मानवीय मूल्यों के प्रति समर्पण भाव, सहृदयता व कर्तव्यनिष्ठा को देखते हुए गुरु रामदास ने 1581 ईस्वी में उन्हें गुरु पद की गद्दी दी. वे सर्वधर्म संभाव के पक्षधर थे. अध्यात्म चिंतक, उपदेशक एवं समाज सुधारक थे. उन्होंने सती प्रथास, धर्म में आडंबर एवं अंधविश्वास का विरोध किया. संतों एवं गुरुओं की वाणी को संकलित कर गुरु ग्रंथ साहिब की रचना की. उनके आदर्श जीवन से हम सभी को सीख लेनी चाहिए. मौके पर सरदार कुलदीप सिंह, त्रिलोक सिंह, त्रिलोचन सिंह, इंद्रजीत सिंह डिंपल, चनप्रीत सिंह जौनी, राजेंद्र सिंह बंटी सहित काफी संख्या में सिख समाज के महिला-पुरुष मौजूद थे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

मेदिनीनगर. मंगलवार को सिख धर्म के पांचवें गुरु अर्जुन देव का 461 वां प्रकाशोत्सव मनाया गया. इस अवसर पर शहर के बेलवाटिका स्थित गुरुद्वारा में गुरु ग्रंथ साहिब का दीवान सजाया गया. स्थानीय रागी जत्था के जसविंदर कौर, हनी कौर, हरप्रीत कौर, पाली कौर ने गुरु वाणी के बाद शबद-गायन कीर्तन किया. हजूरी रागी ज्ञानी सुंदर सिंह ने गुरु अर्जुन देव के जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला. कहा कि गुरु अर्जुन देव गुरु रामदास के पुत्र थे. 1563 ईस्वी में वैशाख मास की सप्तमी तिथि को अमृतसर में उनका जन्म हुआ था. वे बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे. उनके धार्मिक एवं मानवीय मूल्यों के प्रति समर्पण भाव, सहृदयता व कर्तव्यनिष्ठा को देखते हुए गुरु रामदास ने 1581 ईस्वी में उन्हें गुरु पद की गद्दी दी. वे सर्वधर्म संभाव के पक्षधर थे. अध्यात्म चिंतक, उपदेशक एवं समाज सुधारक थे. उन्होंने सती प्रथास, धर्म में आडंबर एवं अंधविश्वास का विरोध किया. संतों एवं गुरुओं की वाणी को संकलित कर गुरु ग्रंथ साहिब की रचना की. उनके आदर्श जीवन से हम सभी को सीख लेनी चाहिए. मौके पर सरदार कुलदीप सिंह, त्रिलोक सिंह, त्रिलोचन सिंह, इंद्रजीत सिंह डिंपल, चनप्रीत सिंह जौनी, राजेंद्र सिंह बंटी सहित काफी संख्या में सिख समाज के महिला-पुरुष मौजूद थे.

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