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झारखंड : एवरेस्ट फतह करके लौटी काम्या कार्तिकेयन को किया गया सम्मानित, साझा किया अपना अनुभव

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जमशेदपुर, निसार अहमद :16 साल नौ महीने में एवरेस्ट फतह करने वाली टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन की काम्या कार्तिकेयन सुरक्षित जमशेदपुर लौट आयी है. गुरुवार को काम्या कार्तिकेयन को टाटा स्टील की ओर से जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आयोजित एक कार्यक्रम में सम्मानित किया गया.

काम्या को टाटा फाउंडेशन ने किया सम्मानित

इस सम्मान समारोह में काम्या का पिता सुदर्शन कार्तिकेयन भी साथ थे. उन्होंने भी अपनी बेटी के साथ इस वर्ष टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन के सहयोग से एवरेस्ट फतह किया है. इस सम्मान समारोह में टाटा स्टील के वीपी सीएस चाणक्य चौधरी, टाटा खेल विभाग के प्रमुख मुकुल चौधरी, टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन के प्रमुख हेमंत गुप्ता व अन्य लोग मौजूद थे. चाणक्य चौधरी ने काम्या और उनके पिता को अंक वस्त्र पहनाकर और मोमेंटो देकर सम्मानित किया. इस मौके पर काम्या और उनके पिता ने एवरेस्ट एक्सपीडिशन से जुड़ा अपना अनुभव साझा किया. इस मौके पर टाटा स्टील खेल विभाग द्वारा संचालित विभिन्न एकेडमी के कैडेट भी मौजूद थे.

एवरेस्ट फतह करने के बाद सबसे पहले मां को किया फोन

एवरेस्ट फतह करके लौटी काम्या कार्तिकेयन ने एवरेस्ट एक्सपीडिशन से संबंधित अपने अनुभव को साझा करते हुए कई दिलचस्प किस्से सुनाये. उन्होंने बताया कि 60 दिन का यह सफर काफी कठिन था. कई तरह के दिक्कतों का सामना करना पड़ा. एक ओर मौसम का बदलता मिजाज तो, दूसरी ओर से हिमालय में काफी ट्रैफिक था. काम्या ने बताया कि उन्होंने एवरेस्ट फतह करने के बाद अपने शेरपा से कहा कि वह अपनी मां से बात करना चाहती है. शेरपा ने सैटेलाइट फोन से काम्या का मां लावण्या कार्तिकेयन से बात कराया. काम्या ने सबसे पहले मां को एवरेस्ट फतह करने की खुशखबरी दी. वहीं, उन्होंने सफर के बारे में बताया कि बेस कैंप के बाद कैंप-2 तक का सफर आसान था. लेकिन कैंप थ्री पहुंचने के बाद जब हम कैंप चार की ओर बढ़े तो मुश्किलें बढ़ने लगी. मौसम काफी सर्द हो गया. बर्फीली हवाएं चल रही थी. जिससे मुझे काफी ठंड भी लग रही थी. इसके अलावा मेरे चश्में पर पूरी तरह से हिम के परत जम गये थे. डर लग रहा था कहीं कोई हिम का टुकड़ा मेरे आंखों में न चल जाये. लेकिन सारी परेशानियों के बावजूद मैंने अपने शेरपा की मदद से एवरेस्ट फतह किया.

काम्या सेवन समिट करना चाहती हैं पूरा

भारत की ओर से सबसे कम उम्र में एवरेस्ट फतह करने वाली काम्या का अगला लक्ष्य दुनिया की सबसे ऊंची सात चोटियों को फतह करना है. इसी वर्ष दिसंबर में काम्या संयुक्त राज्य अमेरिका के देश का और उत्तर अमेरिका महाद्वीप का सबसे ऊँचा पर्वत माउंट डेनाली को फतह करने निकलेंगी.

बेटी ने मुझसे पहले फतह किया एवरेस्ट : एस कार्तिकेयन

काम्या के पिता सुदर्शन कार्तिकेयन भी इस वर्ष एवरेस्ट फतह किया है. दोनों साथ में एवरेस्ट फतह करने में कामयाब रहे. एस कार्तिकेयन ने बताया कि काम्या ने मुझे लगभग डेढ़ घंटे पहले एवरेस्ट फतह किया. इस बात का मुझे गर्व है. उन्होंने बताया कि हम दोनों कैंप-4 से एवरेस्ट फतह करने के लिए एक साथ निकले थे. लेकिन, एवरेस्ट के रास्ते में अधिक ट्रैफिक होने के कारण काम्या और उसे शेरपा मुझ से आगे निकल गया. उन्होंने एवरेस्ट में बढ़ते ट्रैफिक के बारे में बताया कि यह एक चिंता का विषय है. एक ही रस्सी के सहारे हमें एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ना और उतरना होता है. लेकिन इससे एवरेस्ट को नुकसान हो रहा है. हिम खंड कहीं, कहीं उखड़ गये है.

Also Read : सरायकेला में गर्मी दिखा रहा है रौद्र रूप, पारा 43 के पार, दो की मौत, जानें कैसे बचें लू से

जमशेदपुर, निसार अहमद :16 साल नौ महीने में एवरेस्ट फतह करने वाली टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन की काम्या कार्तिकेयन सुरक्षित जमशेदपुर लौट आयी है. गुरुवार को काम्या कार्तिकेयन को टाटा स्टील की ओर से जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आयोजित एक कार्यक्रम में सम्मानित किया गया.

काम्या को टाटा फाउंडेशन ने किया सम्मानित

इस सम्मान समारोह में काम्या का पिता सुदर्शन कार्तिकेयन भी साथ थे. उन्होंने भी अपनी बेटी के साथ इस वर्ष टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन के सहयोग से एवरेस्ट फतह किया है. इस सम्मान समारोह में टाटा स्टील के वीपी सीएस चाणक्य चौधरी, टाटा खेल विभाग के प्रमुख मुकुल चौधरी, टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन के प्रमुख हेमंत गुप्ता व अन्य लोग मौजूद थे. चाणक्य चौधरी ने काम्या और उनके पिता को अंक वस्त्र पहनाकर और मोमेंटो देकर सम्मानित किया. इस मौके पर काम्या और उनके पिता ने एवरेस्ट एक्सपीडिशन से जुड़ा अपना अनुभव साझा किया. इस मौके पर टाटा स्टील खेल विभाग द्वारा संचालित विभिन्न एकेडमी के कैडेट भी मौजूद थे.

एवरेस्ट फतह करने के बाद सबसे पहले मां को किया फोन

एवरेस्ट फतह करके लौटी काम्या कार्तिकेयन ने एवरेस्ट एक्सपीडिशन से संबंधित अपने अनुभव को साझा करते हुए कई दिलचस्प किस्से सुनाये. उन्होंने बताया कि 60 दिन का यह सफर काफी कठिन था. कई तरह के दिक्कतों का सामना करना पड़ा. एक ओर मौसम का बदलता मिजाज तो, दूसरी ओर से हिमालय में काफी ट्रैफिक था. काम्या ने बताया कि उन्होंने एवरेस्ट फतह करने के बाद अपने शेरपा से कहा कि वह अपनी मां से बात करना चाहती है. शेरपा ने सैटेलाइट फोन से काम्या का मां लावण्या कार्तिकेयन से बात कराया. काम्या ने सबसे पहले मां को एवरेस्ट फतह करने की खुशखबरी दी. वहीं, उन्होंने सफर के बारे में बताया कि बेस कैंप के बाद कैंप-2 तक का सफर आसान था. लेकिन कैंप थ्री पहुंचने के बाद जब हम कैंप चार की ओर बढ़े तो मुश्किलें बढ़ने लगी. मौसम काफी सर्द हो गया. बर्फीली हवाएं चल रही थी. जिससे मुझे काफी ठंड भी लग रही थी. इसके अलावा मेरे चश्में पर पूरी तरह से हिम के परत जम गये थे. डर लग रहा था कहीं कोई हिम का टुकड़ा मेरे आंखों में न चल जाये. लेकिन सारी परेशानियों के बावजूद मैंने अपने शेरपा की मदद से एवरेस्ट फतह किया.

काम्या सेवन समिट करना चाहती हैं पूरा

भारत की ओर से सबसे कम उम्र में एवरेस्ट फतह करने वाली काम्या का अगला लक्ष्य दुनिया की सबसे ऊंची सात चोटियों को फतह करना है. इसी वर्ष दिसंबर में काम्या संयुक्त राज्य अमेरिका के देश का और उत्तर अमेरिका महाद्वीप का सबसे ऊँचा पर्वत माउंट डेनाली को फतह करने निकलेंगी.

बेटी ने मुझसे पहले फतह किया एवरेस्ट : एस कार्तिकेयन

काम्या के पिता सुदर्शन कार्तिकेयन भी इस वर्ष एवरेस्ट फतह किया है. दोनों साथ में एवरेस्ट फतह करने में कामयाब रहे. एस कार्तिकेयन ने बताया कि काम्या ने मुझे लगभग डेढ़ घंटे पहले एवरेस्ट फतह किया. इस बात का मुझे गर्व है. उन्होंने बताया कि हम दोनों कैंप-4 से एवरेस्ट फतह करने के लिए एक साथ निकले थे. लेकिन, एवरेस्ट के रास्ते में अधिक ट्रैफिक होने के कारण काम्या और उसे शेरपा मुझ से आगे निकल गया. उन्होंने एवरेस्ट में बढ़ते ट्रैफिक के बारे में बताया कि यह एक चिंता का विषय है. एक ही रस्सी के सहारे हमें एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ना और उतरना होता है. लेकिन इससे एवरेस्ट को नुकसान हो रहा है. हिम खंड कहीं, कहीं उखड़ गये है.

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