करम देवता की पूजा अर्चना कर पारंपरिक बीज संरक्षण की परंपरा को किया प्रदर्शित
आदिवासी-मूलवासी समुदाय द्वारा प्रकृति आधारित बीज संरक्षण का पर्व "करम पर्व" मनाया गया. इसका आयोजन करम अखड़ा कमेटी बालीगुमा के द्वारा किया गया. गांव की युवतियों ने करम पर्व के लिए जंगल से करम पेड़ की डाली को लाकर अखड़ा में स्थापित किया था. युवतियों ने देर रात तक करम राजा की आराधना पूजा, नृत्य व गाकर की.
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Jamshedpur News: बालीगुमा सुखना बस्ती में आदिवासी-मूलवासी समुदाय द्वारा प्रकृति आधारित बीज संरक्षण का पर्व “करम पर्व” मनाया गया. इसका आयोजन करम अखड़ा कमेटी बालीगुमा के द्वारा किया गया. गांव की युवतियों ने करम पर्व के लिए जंगल से करम पेड़ की डाली को लाकर अखड़ा में स्थापित किया था. युवतियों ने देर रात तक करम राजा की आराधना पूजा, नृत्य व गाकर की. वहीं गांव लाया अर्थात पारंपरिक पुजारी सोरोत महतो ने पारंपरिक रीति-रिवाज से करम देवता की पूजा अर्चना कर स्वागत किया. साथ ही गांव के समस्त ग्रामवासियों के लिए उन्नति, प्रगति व खुशहाली के लिए भी प्रार्थना किया.
बीज संरक्षण के महत्व को बताया
पुजारी सोरोत महतो ने बीज संरक्षण के महत्व को समझाया. उन्होंने बताया कि करम पर्व एक पारंपरिक त्योहार है. यह पर्व बीज बोने से पहले उसकी गुणवत्ता की जांच करने के लिए मनाया जाता है. इस पर्व के दौरान आदिवासी-मूलवासी समाज के लोग विभिन्न तरह के आयोजनों व उत्सवों में भाग लेते हैं. इस पर्व का मुख्य उद्देश्य बीजों की गुणवत्ता की जांच करना और अगले वर्ष की फसलों के लिए आशीर्वाद मांगना है. कार्यक्रम में जया, रुम्पा, संजना, संगीता, मोनी, बर्षा, प्रीति, पिहू, ब्रिस्टी, तानी, स्वीटी, उमा, माला, शिखा, शिल्पी, शीला, शेफाली, जीत, वरुण, राकेश समेत काफी संख्या में ग्रामवासी मौजूद थे.
7 युवतियों ने डलिया में बीजों को किया था अंकुरित
लाया सोरोत महतो ने बताया कि बीज की गुणवता को जांचने की यह पारंपरिक परंपरा है. इस बार गांव की 7 युवतियों ने डलिया में कई तरह के बीजों को अंकुरित किया था. जिसे क्षेत्रीय भाषा में जावा कहते हैं. जावा रखने के परंपरा का निर्वहन बीजों की गुणवता को जांच करने व उनकी शक्ति को बढ़ाने के लिए किया जाता है.गांव देहात में पहले बीज की खरीदारी नहीं की जाती थी. बल्कि खेतों से लाये गये अनाज में से ही कुछ को घर में अलग सुरक्षित रखा जाता है. उन्होंने बताया कि पारंपरिक बीज संरक्षण जरूरी है. साथ ही उनकी गुणवता को भी बचाये रखना जरूरी है.