स्वशासन व्यवस्था माझी परगना महाल पहले से और ज्यादा होगा मजबूत, नये कार्यकारी सदस्यों को संचालन की दी गयी जिम्मेदारी
आदिवासी स्वशासन व्यवस्था माझी परगना महाल अपने समाज को पहले से अधिक मजबूत और संगठित बनाना चाहती है. इसका मुख्य उद्देश्य पूर्वजों द्वारा बनाए गए नीति नियमों को जीवित रखना और नए नीति नियमों की जानकारी समाज के लोगों को देना है. इस दिशा में कुशल स्वशासन व्यवस्था के अगुवाओं का चयन किया गया है. ये समाज अगुआ समाज की उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
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जमशेदपुर: घाटशिला के माझी परगना महाल बाखुल पावड़ा में बुधवार को माझी परगना महाल पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था का कार्यकारी सदस्यों का विस्तार देश परगना बाबा बैजू मुर्मू के अध्यक्षता में किया गया. बैठक में सर्वसम्मति से दुर्गाचरण मुर्मू को धाड़ दिशोम देश पारानिक, श्याम सुंदर मुर्मू को देश गोडेत, बिरेन टुडू को देश जायरेत और संजय मुर्मू को देश जोगो जायरेत बनाया गया. जून में हुई 14वां महासम्मेलन में पारित प्रस्तावों को गांव-गांव तक पहुंचाने व अमल में लाने के लिए पांच जोगो पारानिक में दीपक मुर्मू, डॉ. ज्योतिंद्र नाथ बेसरा, श्याम चरण टुडू, बिंदे सोरेन, मार्शल मुर्मू को जिम्मेदारी दी गयी है. वहीं 10 जोगो गोडेत में जगदीश बास्के, कुशाल हांसदा, ठाकुर सोरेन, बंगाल मार्डी, रामचंद्र सोरेन, बाजून मुर्मू, सुशांत हेंब्रम, दिकू बेसरा, पिताम मार्डी, निबाई बास्के के अलावा धाड़ दिशोम के प्रत्येक तोरोप से सात-सात सक्रिय सदस्यों को नामित किया गया. महाल को दिशा-निर्देश देने के लिए सलाहकार समूह में बास्ता सोरेन, माझी युवराज टुडू, लेदेम किस्कू, डॉ जुझार टुडू, मधु सोरेन, पंचानन सोरेन, कुंवर मार्डी, शंकर मार्डी, अर्जुन सोरेन व सुरेंद्र टुडू को जिम्मेदारी दी गयी है. बैठक में तोरोप परगना हरिपोदो मुर्मू, सुशील कुमार हांसदा, दसमत हांसदा, पूनता मुर्मू, लखन मार्डी, सिरजन मार्डी, शत्रुघन मुर्मू, दसमत मुर्मू, बुद्धेश्वर किस्कू, बिपिन मुर्मू, सुखराम किस्कू, लेदेम मुर्मू, बिरसिंह बास्के, विश्वनाथ मार्डी समेत काफी संख्या में समाज के लोग मौजूद थे.
समाज का सर्वांगीण विकास के लिए सबका सहयोग जरूरी: बैजू मुर्मू
देश परगना बैजू मुर्मू ने कहा कि माझी परगना महाल हजारों सालों से पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को संचालित करते आ रहा है. वर्तमान समय में भी स्वशासन व्यवस्था के तहत माझी बाबा, परगना, तोरोफ परगना, पीड़ परगना आदि समाज को कुशल नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं. माझी परगना व्यवस्था का अलिखित संविधान हजारों वर्षों पूर्व ही पूर्वजों द्वारा स्थापित किया गया है. जो आज भी संताल समाज के व्यवहार, गीत- संगीत, कहानी व सामाजिक पूजन विधि में जिंदा है. हम सबों को अपने स्वशासन व्यवस्था पर गर्व महसूस करना चाहिए. उन्होंने कहा कि समाज को कुशल नेतृत्व करना आज के समय में किसी चुनौती से कम नहीं है. इसलिए समाज को वर्तमान समय के हिसाब से हर तरह से मजबूत बनाये रखने के लिए बुद्धिजीवियों को उनके कार्यानुभव के अनुसार जिम्मेदारी दी जा रही है. स्वशासन व्यवस्था को संचालन में जिनको भी जिम्मेदारी दी गयी है वे अपनी जवाबदेही को भलीभांति समझे और समाज हित में कार्य करें.
व्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में एक पहल
आदिवासी स्वशासन व्यवस्था माझी परगना महाल अपने समाज को पहले से अधिक मजबूत और संगठित बनाना चाहती है. इसका मुख्य उद्देश्य पूर्वजों द्वारा बनाए गए नीति नियमों को जीवित रखना और नए नीति नियमों की जानकारी समाज के लोगों को देना है. इस दिशा में कुशल स्वशासन व्यवस्था के अगुवाओं का चयन किया गया है. ये समाज अगुआ समाज की उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. उनके नेतृत्व में समाज दिन दोगुनी और रात चौगुनी तरक्की करेगा. ये अगुआ समाज के सभी वर्गों को एकजुट करेंगे और उन्हें नयी राह दिखाएंगे. इस प्रक्रिया से आदिवासी समाज अपनी परंपराओं और संस्कृति को संरक्षित रखते हुए आधुनिकता की ओर बढ़ेगा. नई पीढ़ी को अपने पूर्वजों के ज्ञान और अनुभव से अवगत कराने के साथ-साथ उन्हें वर्तमान समय की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करेगा. इस प्रकार, आदिवासी स्वशासन व्यवस्था समाज को समृद्धि और प्रगति की ओर ले जाएगी.