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लॉकडाउन का असर : हजारीबाग के एयर क्वालिटी में आया सुधार, तापमान में भी दर्ज की गयी गिरावट

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जयनारायण

हजारीबाग : हजारीबाग की बदली आबोहवा वर्षों पहले की याद दिला रही है. यहां की आबोहवा देश के लोगों को आकर्षित करती रही है. उत्तर भारत के महानगरों में रहनेवाले लोग गरमी के दिनों सैर सपाटे व स्वास्थ्य लाभ के लिए आते थे. सुहाना मौसम का लुत्फ उठाते थे. लॉकडाउन के बाद हजारीबाग के तापमान में तीन से छह डिग्री की कमी आयी है. हवा में धूलकण की मात्रा 34.17 माइकोग्राम प्रति घनमीटर, सल्फर डाइऑक्साइड 5.36 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड 2.45 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर की कमी दर्ज की गयी है. अप्रैल 2018 में हजारीबाग का तापमान 39 डिग्री तक दर्ज किया गया था, जबकि वर्तमान में 33-35 डिग्री रिकॉर्ड किया जा रहा है.

Also Read: हजारीबाग में मंदी झेल रहे रियल एस्टेट पर कहर बनकर टूटा कोरोना, काम बंद होने से 15 हजार कामगार प्रभावित

कैसे आयी शहर के प्रदूषण में गिरावट : लॉकडाउन के बाद हजारीबाग पूरी तरह बंद है. सड़कों पर वाहन नहीं चल रहे हैं. फैक्ट्रियों में ताला लगा है. जिससे पेट्रोलियम पदार्थ व कोयले के जलने के बाद निकलने वाले धुआं में सल्फर डाइऑक्साइड व नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की मात्रा नहीं है. ये दोनों गैस हवा को अधिक प्रदूषित करते हैं.

सरकारी आंकडों के अनुसार हजारीबाग में प्रत्येक वर्ष 15 हजार नये वाहनों का पंजीयन होता है. वहीं जिले में 59 बड़े-बड़े फैक्ट्री हैं, जो प्रदूषण के स्तर को बढ़ानेवाले कारक हैं. इसके अलावा लॉकडाउन के बाद भवन निर्माण, सड़क निर्माण एवं अन्य निर्माण कार्य बंद हैं. जिससे धूल, बालू एवं राख नहीं उड़ रहे हैं.

क्या कहते हैं अधिकारी

हजारीबाग प्रदूषण नियमंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय पदाधिकारी अशोक कुमार यादव ने बताया कि लॉकडाउन के बाद रीजनल कार्यालय परिसर में लगे प्रदूषण मापक यंत्र से हवा में एंबिएंट एयर क्वालिटी, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की मात्रा ली गयी है. उन्होंने बताया कि हवा में धूलकण की मात्रा 100 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर होना चाहिए. इसी तरह सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड 80-80 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर होना चाहिए. हजारीबाग में प्रदूषण स्तर काफी नीचे आ गया है.

जयनारायण

हजारीबाग : हजारीबाग की बदली आबोहवा वर्षों पहले की याद दिला रही है. यहां की आबोहवा देश के लोगों को आकर्षित करती रही है. उत्तर भारत के महानगरों में रहनेवाले लोग गरमी के दिनों सैर सपाटे व स्वास्थ्य लाभ के लिए आते थे. सुहाना मौसम का लुत्फ उठाते थे. लॉकडाउन के बाद हजारीबाग के तापमान में तीन से छह डिग्री की कमी आयी है. हवा में धूलकण की मात्रा 34.17 माइकोग्राम प्रति घनमीटर, सल्फर डाइऑक्साइड 5.36 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड 2.45 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर की कमी दर्ज की गयी है. अप्रैल 2018 में हजारीबाग का तापमान 39 डिग्री तक दर्ज किया गया था, जबकि वर्तमान में 33-35 डिग्री रिकॉर्ड किया जा रहा है.

Also Read: हजारीबाग में मंदी झेल रहे रियल एस्टेट पर कहर बनकर टूटा कोरोना, काम बंद होने से 15 हजार कामगार प्रभावित

कैसे आयी शहर के प्रदूषण में गिरावट : लॉकडाउन के बाद हजारीबाग पूरी तरह बंद है. सड़कों पर वाहन नहीं चल रहे हैं. फैक्ट्रियों में ताला लगा है. जिससे पेट्रोलियम पदार्थ व कोयले के जलने के बाद निकलने वाले धुआं में सल्फर डाइऑक्साइड व नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की मात्रा नहीं है. ये दोनों गैस हवा को अधिक प्रदूषित करते हैं.

सरकारी आंकडों के अनुसार हजारीबाग में प्रत्येक वर्ष 15 हजार नये वाहनों का पंजीयन होता है. वहीं जिले में 59 बड़े-बड़े फैक्ट्री हैं, जो प्रदूषण के स्तर को बढ़ानेवाले कारक हैं. इसके अलावा लॉकडाउन के बाद भवन निर्माण, सड़क निर्माण एवं अन्य निर्माण कार्य बंद हैं. जिससे धूल, बालू एवं राख नहीं उड़ रहे हैं.

क्या कहते हैं अधिकारी

हजारीबाग प्रदूषण नियमंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय पदाधिकारी अशोक कुमार यादव ने बताया कि लॉकडाउन के बाद रीजनल कार्यालय परिसर में लगे प्रदूषण मापक यंत्र से हवा में एंबिएंट एयर क्वालिटी, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की मात्रा ली गयी है. उन्होंने बताया कि हवा में धूलकण की मात्रा 100 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर होना चाहिए. इसी तरह सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड 80-80 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर होना चाहिए. हजारीबाग में प्रदूषण स्तर काफी नीचे आ गया है.

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