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National Sports Day 2021 : किसान के बेटे हैं नेशनल फुटबॉलर, दुनिया में किया नाम रोशन, लेकिन हैं मायूस

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संतोष ट्रॉफी(Santosh Trophy), सुब्रतो मुखर्जी कप (Subroto Mukherjee Cup) व इंडिया कैंप (India Camp) कर चुका नेशनल फुटबॉलर (national footballer) गुमला शहर के आसिफ अली सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहा है. रोजी-रोजगार के लिए चश्मा बेचकर जीविका चला रहा है.

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National Sports Day 2021, गुमला न्यूज (दुर्जय पासवान) : झारखंड के गुमला में कई नेशनल फुटबॉलर हैं, जो संतोष ट्रॉफी, सुब्रतो मुखर्जी सहित कई प्रतियोगिता में भाग ले चुके हैं. यहां तक कि विश्वकप फुटबॉल प्रतियोगिता की तैयारी के लिए बनायी गयी टीम में भी गुमला के खिलाड़ी शामिल रह चुके हैं. ये सभी खिलाड़ी किसान परिवार से हैं. माता-पिता खेतीबारी कर बच्चों को पढ़ा रहे हैं, परंतु कई नेशनल खिलाड़ी सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं. कई खिलाड़ी राज्य व देश के लिए खेले, परंतु अब उनकी उम्र अधिक हो गयी है, लेकिन सरकार द्वारा इन खिलाड़ियों को किसी प्रकार की मदद नहीं की जा रही है. ये सरकार से मदद की उम्मीद में हैं, ताकि भविष्य संवर जाये.

पुग्गू खोपाटोली गांव के बुद्धदेव उरांव वर्ष 2017-2018 में दिल्ली सुब्रतो मुखर्जी कप फुटबॉल खेल चुका है. अभी उसे खेल विभाग द्वारा दानापुर बुलाया गया है. तीन सितंबर को दानापुर जायेगा. बुद्धदेव ने बताया कि उसके पिता नारायण उरांव का निधन हो गया है. मां रमिया देवी है जो खेतीबारी उसे पढ़ा रही है. गुमला में सीनियर खिलाड़ियों के लिए सेंटर नहीं है. जिस कारण वह हर दिन अपने गांव से स्टेडियम अभ्यास करने आता है. सरकार की तरफ से उसे कुछ सुविधा नहीं मिलती है.

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तेलगांव की रेखा उरांव श्रीलंका में आयोजित इंटरनेशनल अंडर-14 बालिका फुटबॉल प्रतियोगिता का हिस्सा रही है. श्रीलंका में इंडिया ने मैच जीती थी. इसमें रेखा की भूमिका अहम था. उन्होंने कहा कि अब वह खेल के साथ पुलिस बनना चाहती है. सरकार द्वारा खिलाड़ियों को सम्मान दिया जा रहा है. परंतु गुमला के खिलाड़ियों को उनके खेल का इनाम नहीं मिल रहा है. रेखा ने कहा कि उसके पिता अवधेश उरांव किसान हैं. जबकि मां महादेवी देवी पुलिस विभाग में है. उसका सपना है कि वह मां की तरह पुलिस बने.

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संतोष ट्रॉफी, सुब्रतो मुखर्जी कप व इंडिया कैंप कर चुका नेशनल फुटबॉलर गुमला शहर के आसिफ अली सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहा है. रोजी-रोजगार के लिए चश्मा बेचकर जीविका चला रहा है. हालांकि अभी भी वह फुटबॉल का अभ्यास जारी रखे हुए है. हर दिन सुबह को स्टेडियम में वह दूसरे खिलाड़ियों के साथ अभ्यास करता है. आसिफ ने कहा कि खेल के क्षेत्र में पहचान बनाया. परंतु सरकार द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया. जिस कारण चश्मा बेचना पड़ रहा है. उन्होंने सरकार से किसी भी क्षेत्र में नौकरी देने की मांग की है.

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सिमडेगा जिला के उरबानुस तिर्की संत इग्नासियुस इंटर कॉलेज गुमला में पढ़ रहा है. वह सेंटर में रहकर अभ्यास कर रहा है. सुब्रतो कप खेल चुका है. अब उसका सपना इंडिया टीम के लिए खेलना है. इसके लिए वह हर दिन मेहनत कर रहा है. उरबानुस ने कहा कि उसके पिता प्यारा तिर्की किसान हैं. खेतीबारी कर पढ़ा लिखा रहे हैं. पिता को उससे काफी उम्मीदें हैं. इसलिए वह हर दिन फुटबॉल का अभ्यास करता है. वह राज्य व राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिता में भाग ले चुका है. इंडिया के लिए खेलते हुए मैच जीतना बाकी है.

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गुमला प्रखंड के फोरी सुगीटोली गांव के विपता उरांव नेशनल फुटबॉलर है. वह कई बड़ी प्रतियोगिता में भाग ले चुका है. अभी वह सेंटर में है और अभ्यास कर रहा है. परंतु उसका परिवार गरीबी में जी रहा है. पिता चंदा उरांव किसान हैं. कुछ बहुत खेत है. जहां खेतीबारी कर अपने बेटे को पढ़ा रहे हैं. विपता ने कहा कि उसके परिवार के नाम से राशन कार्ड नहीं है. जबकि कई बार परिवार के लोगों ने राशन कार्ड बनाने के लिए आवेदन दिया है. परंतु प्रशासन द्वारा ध्यान नहीं दिया जाता है. उन्होंने गुमला प्रशासन से मदद की गुहार लगाया है.

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चैनपुर प्रखंड के कसीरा गांव निवासी भूषण टोप्पो नेशनल खिलाड़ी है. वह विश्वकप फुटबॉल प्रतियोगिता की तैयारी कर रहा था. कोलकात्ता में रिजनल एकेडमी था. जहां वह कई खिलाड़ियों के साथ रहता था. परंतु 2017-2018 में सेंटर बंद हो गया और प्रतियोगिता की तैयारी बंद हो गयी. इसलिए वह गुमला वापस आ गया और अब इंडिया टीम से खेलने का सपना लिये अभ्यास कर रहा है. भूषण ने कहा कि उसके पिता इमानुवेल टोप्पो किसान हैं. खेतीबारी से उसका पढ़ाई होता है. वह गुमला में किराये के घर में रहता है. वह स्कूल नेशनल, फेडरेशन ट्रायल सहित कई प्रतियोगिता में भाग ले चुका है.

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गुमला के पुग्गू खोपाटोली गांव के हर्षित बाड़ा नेशनल खिलाड़ी है. अभी वह संत इग्नासियुस हाई स्कूल गुमला में संचालित सेंटर में रहकर अभ्यास कर रहा है. पिता संजू उरांव किसान हैं. खेतीबारी से घर परिवार का जीविका चलता है. हर्षित ने कहा कि उसका सपना इंडिया के लिए खेलना है. वह अबतक कई बड़ी प्रतियोगिता का हिस्सा बन चुका है. परंतु उसका सपना इंडिया टीम में चयनित होकर भारत के लिए खेलना व मैच जीतना है. हर्षित ने कहा कि वह अपने सपने को पूरा करने के लिए हर दिन अभ्यास करता है.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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