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Gumla News : आजादी की लड़ाई लड़ने वाले टाना भगत 74 साल से कर रहे हैं पुल बनने का इंतजार, बारिश में टापू बन जाता हैं उनका ये गांव

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Gumla Ghaghra News गुमला : देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़नेवाले टाना भगतों का गांव बारिश में टापू बन जाता है. यहां 74 वर्षों के बाद भी आज तक एक पुल नहीं बन पाया. गुमला जिले के घाघरा प्रखंड मुख्यालय से तीन किमी दूर स्थित देवाकी खपराटोली गांव बदहाल है. यहां टाना भगतों के 35 परिवारों के कुल 325 लोग रहते हैं. बारिश शुरू होते ही इनकी समस्या शुरू हो जाती है. गांव तक जाने के लिए बड़की नाला नदी में पुल नहीं है. दो माह तक गांव टापू बन जाता है.

हर साल की है कहानी :

यह हर साल की कहानी है. बारिश शुरू होने से पहले ग्रामीण खाना-खुराकी की जुगाड़ कर लेते हैं. यहां तक कि सर्दी, बुखार, खांसी, बदन दर्द सहित अन्य मामूली बीमारी की दवा भी खरीद कर रख लेते हैं, ताकि वह संकट से लड़ सकें. नदी में बारिश के कारण पानी भर जाता है. जिससे नदी से होकर आना-जाना बंद हो जाता है, क्योंकि नदी में पुल नहीं है. यहां बताते चलें कि देवाकी खपराटोली गांव के अधिकांश परिवार टाना भगत हैं. यह गांव बड़की नाला नदी के किनारे बसा हुआ है. अगर कोई ग्रामीण गंभीर बीमार होता है, तो अपनी जान जोखिम में डाल कर लोग नदी को पार करते हैं और मरीज को इलाज के लिए घाघरा लाते हैं. इस गांव में 35 घर हैं.

विधायक चमरा लिंडा गांव की सुध नहीं लेते :

क्षेत्र की जनता समस्या से जूझ रही है. लेकिन बिशुनपुर विधायक चमरा लिंडा क्षेत्र से नदारद हैं. ग्रामीण कहते हैं कि विधायक हमारे गांव की सुध नहीं लेते हैं. इस कारण यह समस्या है. हाल गुमला के देवाकी खपराटोली गांव का. बारिश से पहले ही दो माह का राशन व दवा जुगाड़ कर रखते हैं

Posted By : Sameer Oraon

Gumla Ghaghra News गुमला : देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़नेवाले टाना भगतों का गांव बारिश में टापू बन जाता है. यहां 74 वर्षों के बाद भी आज तक एक पुल नहीं बन पाया. गुमला जिले के घाघरा प्रखंड मुख्यालय से तीन किमी दूर स्थित देवाकी खपराटोली गांव बदहाल है. यहां टाना भगतों के 35 परिवारों के कुल 325 लोग रहते हैं. बारिश शुरू होते ही इनकी समस्या शुरू हो जाती है. गांव तक जाने के लिए बड़की नाला नदी में पुल नहीं है. दो माह तक गांव टापू बन जाता है.

हर साल की है कहानी :

यह हर साल की कहानी है. बारिश शुरू होने से पहले ग्रामीण खाना-खुराकी की जुगाड़ कर लेते हैं. यहां तक कि सर्दी, बुखार, खांसी, बदन दर्द सहित अन्य मामूली बीमारी की दवा भी खरीद कर रख लेते हैं, ताकि वह संकट से लड़ सकें. नदी में बारिश के कारण पानी भर जाता है. जिससे नदी से होकर आना-जाना बंद हो जाता है, क्योंकि नदी में पुल नहीं है. यहां बताते चलें कि देवाकी खपराटोली गांव के अधिकांश परिवार टाना भगत हैं. यह गांव बड़की नाला नदी के किनारे बसा हुआ है. अगर कोई ग्रामीण गंभीर बीमार होता है, तो अपनी जान जोखिम में डाल कर लोग नदी को पार करते हैं और मरीज को इलाज के लिए घाघरा लाते हैं. इस गांव में 35 घर हैं.

विधायक चमरा लिंडा गांव की सुध नहीं लेते :

क्षेत्र की जनता समस्या से जूझ रही है. लेकिन बिशुनपुर विधायक चमरा लिंडा क्षेत्र से नदारद हैं. ग्रामीण कहते हैं कि विधायक हमारे गांव की सुध नहीं लेते हैं. इस कारण यह समस्या है. हाल गुमला के देवाकी खपराटोली गांव का. बारिश से पहले ही दो माह का राशन व दवा जुगाड़ कर रखते हैं

Posted By : Sameer Oraon

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