रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मानव तस्करी से निबटने के लिए सामूहिक प्रयास पर जोर दिया है. उन्होंने दिल्ली के हरिनगर से बरामद ट्रैफिकिंग की शिकार गुमला निवासी 16 वर्षीय बच्ची की सकुशल वापसी के लिए झारखंड के पुलिस महानिदेशक एमवी राव और गुमला के डिप्टी कमिश्नर को निर्देश दिया है.

मुख्यमंत्री ने बुधवार (15 जुलाई) को कहा कि मानव तस्करी से निबटने के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत है. मैं इस प्रयास के लिए दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल को धन्यवाद देता हूं, जिनके सार्थक प्रयास से झारखंड की बेटी सुरक्षित रेस्क्यू कर ली गयी.

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को टैग करते हुए ट्वीट किया था कि झारखंड के गुमला की रहने वाली 16 वर्षीय बच्ची को मंगलवार (14 जुलाई, 2020) की देर रात दिल्ली स्थित हरिनगर से रेस्क्यू करवाया गया है. बच्ची से जबरन काम लिया जाता था. मामले की जानकारी के बाद मुख्यमंत्री ने पुलिस महानिदेशक और गुमला के उपायुक्त को बच्ची की सुरक्षित वापसी का आदेश दिया.

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स्वाति मालिवाल ने अपने ट्वीट में कहा था, ‘झारखंड के गुमला जिले की 16 वर्षीय बच्ची को कल हमारी टीम ने देर रात हरिनगर से रेस्क्यू करवाया. बच्ची का बचपन छीन काम करवाया जाता था! 5 सालों में झारखंड एवं अन्य राज्यों की कितनी मासूम बच्चियों को रेस्क्यू करवा चुके हैं. इस समस्या पर मिलकर कार्य करने की जरूरत है.’

इसके जवाब में हेमंत सोरेन ने झारखंड की बेटी को मुक्त करवाने के लिए स्वाति मालिवाल को धन्यवाद दिया और कहा कि मानव तस्करी से लड़ने के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है. साथ ही उन्होंने पुलिस महानिदेशक और गुमला के उपायुक्त को टैग करते हुए जरूरी कार्रवाई करने के भी निर्देश दिये.

उधर, कांग्रेस से जुड़े रमेश पांडेय ने स्वाति मालिवाल के ट्वीट पर कहा, ‘महोदया जी झारखंड की बच्चियां दिल्ली में भरी पड़ी हैं. आप संज्ञान लेते हुए पुष्ट जानकारी हासिल कीजिए. आपका बच्ची को रेस्क्यू कराना बहुत ही सराहनीय, प्रशंसनीय एवं महत्वपूर्ण कदम है. लेकिन, ऐसे कई मामले दिल्ली में और भी मिल सकते हैं.’

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वरुण कुमार नामक एक युवक ने ट्वीट पर अपनी प्रतिक्रिया दी, ‘मैडमजी प्लीज कोठियों में काम करने वाली लड़कियों के लिए भी कोई वेतन तय करवायें, क्योंकि प्लेसमेंट एजेंसी कमीशन लेकर इनको काम पर लगा देते हैं, जहां पेमेंट के नाम पर केवल आठ या नौ हजार रुपये मिलते हैं, मैडमजी, लेबर डिपार्टमेंट भी प्लेसमेंट एजेंसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता.’

एक लड़की लिखती है, ‘मैं क्या बताऊं. रांची के पास कुछ टेक्सटाइल फैक्ट्री में ऐसे मामले सुनने में आये थे. मैं सोरेन सर से विशेष रूप से कहना चाहूंगी कि आदिवासी लड़कियों का शोषण करना बहुत आसान है. कृपया आप इस पड़ ध्यान दें और इससे निबटने के लिए अलग रणनीति बनायें.’

Posted By : Mithilesh Jha