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Giridih News: क्रिसमस और नववर्ष पर भारी संख्या में पर्यटन स्थलों पर पहुंचेंगे लोग, सुरक्षा की व्यवस्था नहीं

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लेकिन इन सबके बीच बड़ा सवाल यह है कि क्या इन पर्यटन स्थलों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कोई मजबूत अथवा कोई ठोस कदम उठाया गया. यहां कि अप्रिय घटना या हादसे से बचने के पुख्ता उपाय नहीं किये गये हैं. सुरक्षा के दृष्टिकोण से कमोवेश प्रशासन की नींद किसी भी स्थल के लिए नहीं खुली है.

यह हाल तब है जब बड़ा दिन यानी क्रिस्मस-डे महज एक सप्ताह ही रह गया है. इस दौरान विभिन्न पर्यटन स्थलों पर लोगों की भीड़ उमड़ती है. इसके बाद ही नववर्ष का उत्सव मनाने के लिए भी बड़ी संख्या में लोग ऐसी जगहों पर जुटते हैं. ऐसे में किसी हादसे के बाद फिर पछतावे और घोषणाओं का दौर चलता है.

पहले भी नाव पलटने से हो चुकी है नौ लोगों की मौत

बता दें कि गिरिडीह और कोडरमा जिला अंतर्गत मरकच्चो और धनवार प्रखंड की सीमा पर स्थित अरकोसा गांव को विस्थापित कर बनाए गए पंचखैरो डैम (गोरहंद डैम) में बीते करीब तीन साल पहले नाव में बैठकर घूमने के दौरान नाव पलट गयी थी. हादसे में नौ लोगों की मौत हो गयी थी. इसमें तीन परिवारों पूरी तरह तबाह हो गया था. तब तत्कालीन सांसद, विधायक से लेकर दोनों जिलों के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने गोताखोर का प्रशिक्षण और प्रशिक्षित नाविकों द्वारा बोटिंग आश्वासन दिया था. लेकिन कोई पहल नहीं की गयी. इस दौरान फिर से यहां दोनों जिलों के अलावा राज्य भर से भारी संख्या में क्रिस्मस और नववर्ष का उत्सव मनाने सैलानियों का आना जाना शुरू हो गया है. डैम में स्थानीय लोग लकड़ी की नाव में बैठाकर लोगों को नौकाविहार करवाते हैं. इसके अलावा यहां दो मोटर बोट भी है. इसमें सैलानी डैम के बीच में जाकर आनंद लेते हैं. लेकिन इनके पास न कोई लाइफ जैकेट होता है और न ही कोई गोताखोर की नियुक्ति किया गया है.

सप्ताह भर पहले हदहदवा पर बने झरने में तोपचांची के दो मासूमों की जा चुकी है जान

महज एक सप्ताह पूर्व धनबाद जिले के तोपचांची थाना क्षेत्र का एक परिवार पिकनिक मनाने हदहदवा नदी पर बने झरने पर आया था और एक ही माता पिता के दोनों पुत्रों के डूबने से मौत हो गयी थी. झरना घने जंगल में है. इसके आसपास मोबाइल का नेटवर्क भी नहीं रहता. झरने के आसपास के पत्थरों पर फिसलन इतनी ज्यादा है कि हमेशा हादसे की आशंका बनी रहती है.

क्या कहते हैं एसडीएम

खोरीमहुआ अनुमंडल पदाधिकारी अनिमेष रंजन ने कहा कि सभी जगहों का दौरा कर स्थिति का जायजा लेते हुए आवश्यक कदम उठाएंगे. पर्यटन विभाग से भी बात करके देखा जायेगा कि उनके स्तर से क्या व्यवस्था की जा सकती है. कहा कि स्थानीय पुलिस फोर्स तथा मजिस्ट्रेट की नियुक्ति कर लोगों को सुरक्षित उत्सव मनाने की अपील किया जायेगा जिससे हादसे से बचा जा सके.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

लेकिन इन सबके बीच बड़ा सवाल यह है कि क्या इन पर्यटन स्थलों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कोई मजबूत अथवा कोई ठोस कदम उठाया गया. यहां कि अप्रिय घटना या हादसे से बचने के पुख्ता उपाय नहीं किये गये हैं. सुरक्षा के दृष्टिकोण से कमोवेश प्रशासन की नींद किसी भी स्थल के लिए नहीं खुली है.

यह हाल तब है जब बड़ा दिन यानी क्रिस्मस-डे महज एक सप्ताह ही रह गया है. इस दौरान विभिन्न पर्यटन स्थलों पर लोगों की भीड़ उमड़ती है. इसके बाद ही नववर्ष का उत्सव मनाने के लिए भी बड़ी संख्या में लोग ऐसी जगहों पर जुटते हैं. ऐसे में किसी हादसे के बाद फिर पछतावे और घोषणाओं का दौर चलता है.

पहले भी नाव पलटने से हो चुकी है नौ लोगों की मौत

बता दें कि गिरिडीह और कोडरमा जिला अंतर्गत मरकच्चो और धनवार प्रखंड की सीमा पर स्थित अरकोसा गांव को विस्थापित कर बनाए गए पंचखैरो डैम (गोरहंद डैम) में बीते करीब तीन साल पहले नाव में बैठकर घूमने के दौरान नाव पलट गयी थी. हादसे में नौ लोगों की मौत हो गयी थी. इसमें तीन परिवारों पूरी तरह तबाह हो गया था. तब तत्कालीन सांसद, विधायक से लेकर दोनों जिलों के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने गोताखोर का प्रशिक्षण और प्रशिक्षित नाविकों द्वारा बोटिंग आश्वासन दिया था. लेकिन कोई पहल नहीं की गयी. इस दौरान फिर से यहां दोनों जिलों के अलावा राज्य भर से भारी संख्या में क्रिस्मस और नववर्ष का उत्सव मनाने सैलानियों का आना जाना शुरू हो गया है. डैम में स्थानीय लोग लकड़ी की नाव में बैठाकर लोगों को नौकाविहार करवाते हैं. इसके अलावा यहां दो मोटर बोट भी है. इसमें सैलानी डैम के बीच में जाकर आनंद लेते हैं. लेकिन इनके पास न कोई लाइफ जैकेट होता है और न ही कोई गोताखोर की नियुक्ति किया गया है.

सप्ताह भर पहले हदहदवा पर बने झरने में तोपचांची के दो मासूमों की जा चुकी है जान

महज एक सप्ताह पूर्व धनबाद जिले के तोपचांची थाना क्षेत्र का एक परिवार पिकनिक मनाने हदहदवा नदी पर बने झरने पर आया था और एक ही माता पिता के दोनों पुत्रों के डूबने से मौत हो गयी थी. झरना घने जंगल में है. इसके आसपास मोबाइल का नेटवर्क भी नहीं रहता. झरने के आसपास के पत्थरों पर फिसलन इतनी ज्यादा है कि हमेशा हादसे की आशंका बनी रहती है.

क्या कहते हैं एसडीएम

खोरीमहुआ अनुमंडल पदाधिकारी अनिमेष रंजन ने कहा कि सभी जगहों का दौरा कर स्थिति का जायजा लेते हुए आवश्यक कदम उठाएंगे. पर्यटन विभाग से भी बात करके देखा जायेगा कि उनके स्तर से क्या व्यवस्था की जा सकती है. कहा कि स्थानीय पुलिस फोर्स तथा मजिस्ट्रेट की नियुक्ति कर लोगों को सुरक्षित उत्सव मनाने की अपील किया जायेगा जिससे हादसे से बचा जा सके.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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