East Singhbhum : पहले जहां सजता था राजा का दरबार, आज खंडहर में तब्दील
घाटशिला के राजस्टेट में राजा के खंडहर महल को देखने आते हैं पर्यटक
अजय पाण्डेय, घाटशिला
वर्ष 1983 से पहले घाटशिला में राजा का दरबार सजता था. राजा जगदीश चंद्र धवलदेव के अंतिम वारिस नारायण चंद्र धवलदेव के कार्यकाल के दौरान तक घाटशिला के राजस्टेट में राजा का सिंहासन लगता था. राजा नारायण चंद्रदेव दरबार लगाकर लोगों को न्याय सुनाते थे. मगर अभी राजा और रानी के महल खंडहर में तब्दील हो गये हैं. रानी का महल सुवर्णरेखा नदी के किनारे था. वह पूरी तरह खंडहर बन गया है. वर्ष 1983 में राजस्टेट में जहां राजा का महल था, उसमें अनुमंडल कार्यालय संचालित होता था. फुलडुंगरी में अनुमंडल कार्यालय का नया भवन बनने के बाद यहां से अनुमंडल कार्यालय भी शिफ्ट हो गया. राजा का भवन भी धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होते जा रहा है. यहां कोलकाता समेत अन्य जगहों के पर्यटक जब आते हैं तो वह राजा के राजबाड़ी देखने राजस्टेट जाते हैं. राजबाड़ी को पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं मिला है. इसके बावजूद पर्यटक राजबाड़ी देखने जाते हैं.घाटशिला स्टेशन से दो किमी दूर है राजबाड़ी
घाटशिला रेलवे स्टेशन से दो किलोमीटर की दूरी पर राजस्टेट का राजबाड़ी है. कोलकाता से रेलमार्ग से घाटशिला रेलवे स्टेशन उतरकर टेंपो या रिक्शा से राजबाड़ी जाया जा सकता है. जमशेदपुर से फुलडुंगरी और फुलडुंगरी से गोपालपुर रेलवे ओवरब्रिज होते हुए राजस्टेट पहुंचा जा सकता है. राजबाड़ी भी सुवर्णरेखा नदी के किनारे स्थित है.राजभवन में पहले अंडर ग्राउंड रास्ता था, पूर्व एसडीओ ने कराया सील
राजा के राजभवन में पहले अंडर ग्राउंड बना था. यह अंडरग्राउंड रास्ता सुवर्णरेखा नदी से होते हुए सुरदा तक गया था. पूर्व एसडीओ ने इस अंडरग्राउंड रास्ते को सील करा दिया. राजा के वंशज हेमंत नारायण देव ने बताया कि पूर्व एसडीओ एस सिद्धार्थ ने अंडरग्राउंड में 28 सीढ़ियों तक गये थे. बाद में उन्होंने इसे सील करा दिया, ताकि इस अंडरग्राउंड रास्ते से कोई आवागमन नहीं कर सके. श्री देव ने बताया कि राजा नारायण चंद्रदेव ने हाथी और घोड़ा भी पाल रखे थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है