Dhanbad News: धन से आबाद धनबाद को गरीब और बदसूरत क्यों कर रहे हो सरकार
किशोर कुमार,
शहीद का बलिदान राष्ट्र का जीवन होता है. राष्ट्र को संजीवनी प्रदान करता है. उसकी शहादत राष्ट्र धर्म व राष्ट्र प्रेम की प्रेरणा देती है. शांतिकाल में वीरता के लिए दिए जाने वाले सर्वोच्च पुरस्कार “अशोक-चक्र” से सम्मानित शहीद रणधीर वर्मा की आदमकद प्रतिमा हमें उनकी अप्रतिम शौर्य गाथाओं की याद दिलाती है. हमें याद दिलाती है कि उस देशभक्त ने किस तरह कर्तव्य से पलायन का मार्ग न चुनकर संघर्ष का मार्ग चुना था और अपने आत्मोत्सर्ग से हमारे इतिहास को समृद्ध किया था. आदमकद प्रतिमा के रूप में उनके साहस और पराक्रम की गाथाएं हमें राष्ट्र धर्म के निर्वहन के लिए सदैव प्रेरित करती रहती है. हमें उनकी जांबाजी याद दिलाती है, किस तरह उन्होंने मातृभूमि की सेवा के लिए अपना सब कुछ अर्पित कर दिया था. शहीद रणधीर वर्मा का जीवन वर्तमान के साथ-साथ भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का शाश्वत स्रोत है और इसी संदर्भ में उनकी प्रतिष्ठित स्मारकीय प्रतिमा राष्ट्रीय, आध्यात्मिक, ऐतिहासिक और शैक्षिक मूल्यों का प्रतीक है. एक देशभक्त अपनी शारीरिक अनुपस्थिति में भी मानव जाति का मार्ग प्रशस्त करता रहता है. शहीद रणधीर वर्मा की प्रतिमा इस बात का सदैव एहसास कराती है. तभी शहादत के तीन दशकों से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद राष्ट्र धर्म के निर्वहन के लिए सदैव तत्पर मानवता और उदारता की प्रतिमूर्ति भारतीय पुलिस सेवा के इस जांबाज अधिकारी के बलिदान को याद रखा गया है. वे जनमानस की स्मृतियों में अंकित हैं. हाल ही लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हुए. जब कभी कर्तव्यनिष्ठा, ईमानदारी और बहादुरी की बात आई, सभी दलों के नेताओं की जुबान पर शहीद रणधीर प्रसाद वर्मा का ही नाम था. रणधीर वर्मा के जीवन की धीरता, वीरता और कर्तव्यनिष्ठा की गाथाएं नई पीढ़ी को प्रेरित करती रहेंगी. 34वें शहादत दिवस पर शहीद रणधीर वर्मा को कोटि-कोटि नमन. (लेखक वरिष्ठ पत्रकार व रणधीर वर्मा मेमोरियल सोसाइटी के अध्यक्ष हैं)डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है