धनबाद : अग्निकांड में जल गयी 60 लाख से ज्यादा की मेडिकल सामग्री
एसएनएमएमसीएच की डायलिसिस यूनिट के गोदाम में लगी आग पर काबू पाने में अग्निशमन विभाग उपकरणों के अभाव में एक बार फिर लाचार दिखा.
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धनबाद : एसएनएमएमसीएच में शुक्रवार की रात अग्निकांड में 60 लाख रुपये से ज्यादा की मेडिकल सामग्री जलने का अनुमान है. इनमें केमिकल समेत डायलिसिस में इस्तेमाल होने वाले मेडिकल सामग्री शामिल हैं. अस्पताल प्रबंधन के अनुसार गोदाम में डायलाइजर, टुबिन, एसिड, फॉर्मलीन, हाइड्रोजन पेरोक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, एनएस स्लाइन समेत यूनिट में लगी आरओ मशीन, पानी का मोटर पूरी तरह जल गया है. बता दें कि गुरुवार को ही डायलिसस यूनिट के लिए दो ट्रक केमिकल आया था. सभी को गोदाम में रखा गया था.
घटना की जांच शुरू : एसएनएमएमसीएच की डायलिसिस यूनिट के गोदाम में लगी आग की घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य सह प्रभारी अधीक्षक डॉ ज्योति रंजन प्रसाद ने जांच की जिम्मेवारी पेडियाट्रिक विभाग के एचओडी डॉ अविनाश कुमार, सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ एसके चौरसिया व मेडिसिन विभाग के डॉ एलबी टुडू को सौंपी है. शुक्रवार से कमेटी में शामिल चिकित्सकों ने घटनास्थल जाकर निरीक्षण किया.
सदर अस्पताल परिसर के केंद्र में रात को होगी मरीजों की डायलिसिस : सदर अस्पताल परिसर में डीसीडीसी हेल्थ सर्विस द्वारा पीपीपी मोड पर डायलिसिस केंद्र का संचालन किया जाता है. वर्तमान में केंद्र में डायलिसिस के लिए छह मशीन उपलब्ध हैं. सुबह से लेकर रात 10 बजे तक केंद्र में मरीजों की डायलिसिस की जाती है. एसएनएमएमसीएच के मरीजों के डायलिसिस करने के निर्देश के बाद मरीजों की संख्या बढ़ेगी. इसे देखते हुए केंद्र की ओर से अब रात के वक्त भी डायलिसिस करने का निर्णय लिया गया है. इसके लिए केंद्र का संचालन कर रही एजेंसी द्वारा एसएनएमएमसीएच प्रबंधन से मैनपावर उपलब्ध कराने की मांग की गयी है.
उपकरणों के अभाव में लाचार दिखा अग्निशमन विभाग : एसएनएमएमसीएच की डायलिसिस यूनिट के गोदाम में लगी आग पर काबू पाने में अग्निशमन विभाग उपकरणों के अभाव में एक बार फिर लाचार दिखा. अस्पताल के दूसरे तल पर स्थित डायलिसिस यूनिट में आग लगी थी. बाद में आग की लपटें बढ़ते हुए तीसरे तल तक पहुंच गयी. समय पर दमकल पहुंचीं, लेकिन दूसरे तल तक पहुंचने में अग्निशमन विभाग के कर्मियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी. हाइड्रोलिक प्लेटफाॅर्म नहीं होने से आग पर काबू पाने में अग्निशमन विभाग के कर्मियों को तीन घंटों से ज्यादा का वक्त लग गया. हालांकि, आग लगने की घटना के बाद मरीजों को सुरक्षित बाहर निकालने में आउटसोर्स कर्मियों ने तत्परता दिखाई. इसके कारण बड़ा हादसा टल गया.