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देवघर के सोनारायठाढ़ी थाने में नये कानून के तहत दर्ज हुआ जिले का पहला केस

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देवघर : ब्रिटिश काल के पुराने तीन कानून भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम अब इतिहास बन कर रह गये हैं. आइपीसी, सीआरपीसी एवं आइइ एक्ट का नाम बदलकर भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 कर दिया गया है. ये तीन नये आपराधिक कानून एक जुलाई से पूरे देश में लागू हो गये हैं. इसके मुताबिक, जीरो प्राथमिकी, पुलिस थाने में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराना, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से समन और सभी जघन्य अपराधों के आपराधिक दृश्यों की वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी. भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 के तहत देवघर जिले का पहला एफआइआर सोनारायठाढ़ी थाने में दर्ज हुआ. पुलिस मीडिया सेल से मिली जानकारी के अनुसार, एक नाबालिग लड़की को प्रेम जाल में फंसाकर यौन शोषण का मामला साेनारायठाढ़ी थाने में दुमका जिले के तालझारी थाना क्षेत्र के हेठ तीनघरा गांव निवासी कुंदन यादव के खिलाफ दर्ज किया गया. उक्त मामला पीड़िता की मां ने दर्ज कराया है. यह मामला सोनारायठाढ़ी थाना कांड संख्या 57/24 बीएनएस की धारा 69/351(2)/351(3)/352 व 4/6 पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किया गया है. बदले कानून से अधिवक्ताओं में कहीं खुशी है, तो कहीं रोष भी अब बदले अधिनियम के तहत ही विभिन्न न्यायालयों में मामलों की सुनवाई भी शुरू हो जायेगी. अधिवक्ताओं को भी बदले अधिनियम के तहत न्यायालयों में पक्ष रखने होंगे. नये अधिनियमों के तहत लोगों को त्वरित न्याय मिलने की पूरी उम्मीदें हैं. इसी उद्देश्य से बदलाव किया गया है. इससे अधिवक्ताओं में कहीं खुशी है, तो कहीं प्रतिरोध भी है. अब कोर्ट में लंबित आपराधिक मामलों को वापस लेने के लिए पीड़ित को न्यायालय में अपनी बात रखने का पूरा अवसर मिलेगा. न्यायालय पीड़ित को सुनवाई का अवसर दिये बिना मुकदमा वापस लेने की सहमति नहीं देगा. साथ ही अब 90 दिन में पुलिस को चार्जशीट दायर करनी होगी. इसका उद्देश्य सभी के लिए अधिक सुलभ, सहायक और प्रभावी न्याय प्रणाली सुनिश्चित करना है. क्या कहते हैं जीपी देश भर में पुराने तीन कानून आइपीसी, सीआरपीसी एवं इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 एक जुलाई से लागू हो जायेगा. इससे न्याय प्रक्रिया में भी बदलाव आयेगा और लंबे समय तक केस लड़ने की नौबत पक्षकारों को नहीं होगी. यह अच्छी पहल है और स्वागत योग्य कार्य है. धनंजय मंडल, जीपी देवघर

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

देवघर : ब्रिटिश काल के पुराने तीन कानून भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम अब इतिहास बन कर रह गये हैं. आइपीसी, सीआरपीसी एवं आइइ एक्ट का नाम बदलकर भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 कर दिया गया है. ये तीन नये आपराधिक कानून एक जुलाई से पूरे देश में लागू हो गये हैं. इसके मुताबिक, जीरो प्राथमिकी, पुलिस थाने में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराना, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से समन और सभी जघन्य अपराधों के आपराधिक दृश्यों की वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी. भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 के तहत देवघर जिले का पहला एफआइआर सोनारायठाढ़ी थाने में दर्ज हुआ. पुलिस मीडिया सेल से मिली जानकारी के अनुसार, एक नाबालिग लड़की को प्रेम जाल में फंसाकर यौन शोषण का मामला साेनारायठाढ़ी थाने में दुमका जिले के तालझारी थाना क्षेत्र के हेठ तीनघरा गांव निवासी कुंदन यादव के खिलाफ दर्ज किया गया. उक्त मामला पीड़िता की मां ने दर्ज कराया है. यह मामला सोनारायठाढ़ी थाना कांड संख्या 57/24 बीएनएस की धारा 69/351(2)/351(3)/352 व 4/6 पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किया गया है. बदले कानून से अधिवक्ताओं में कहीं खुशी है, तो कहीं रोष भी अब बदले अधिनियम के तहत ही विभिन्न न्यायालयों में मामलों की सुनवाई भी शुरू हो जायेगी. अधिवक्ताओं को भी बदले अधिनियम के तहत न्यायालयों में पक्ष रखने होंगे. नये अधिनियमों के तहत लोगों को त्वरित न्याय मिलने की पूरी उम्मीदें हैं. इसी उद्देश्य से बदलाव किया गया है. इससे अधिवक्ताओं में कहीं खुशी है, तो कहीं प्रतिरोध भी है. अब कोर्ट में लंबित आपराधिक मामलों को वापस लेने के लिए पीड़ित को न्यायालय में अपनी बात रखने का पूरा अवसर मिलेगा. न्यायालय पीड़ित को सुनवाई का अवसर दिये बिना मुकदमा वापस लेने की सहमति नहीं देगा. साथ ही अब 90 दिन में पुलिस को चार्जशीट दायर करनी होगी. इसका उद्देश्य सभी के लिए अधिक सुलभ, सहायक और प्रभावी न्याय प्रणाली सुनिश्चित करना है. क्या कहते हैं जीपी देश भर में पुराने तीन कानून आइपीसी, सीआरपीसी एवं इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 एक जुलाई से लागू हो जायेगा. इससे न्याय प्रक्रिया में भी बदलाव आयेगा और लंबे समय तक केस लड़ने की नौबत पक्षकारों को नहीं होगी. यह अच्छी पहल है और स्वागत योग्य कार्य है. धनंजय मंडल, जीपी देवघर

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