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Deoghar News: आज, 16 अगस्त की रात 12 बजे राजगीर में पुरुषोत्तम मास का झंडा उखड़ते ही इस अधिक मास यानी मलमास का विधिवत समापन हो जाएगा. वहीं 17 अगस्त को संक्रांति के बाद 18 अगस्त से सावन मास का दूसरा पक्ष प्रारंभ हो जाएगा. यह 31 अगस्त को रक्षा बंधन के साथ संपन्न होगा. सावन के दूसरे पक्ष में दो सोमवारी 21 व 28 अगस्त को होगी. वहीं दूसरे पक्ष में ही कई पर्व-त्योहार भी हैं. इस वजह से सावन महीने के दूसरे पक्ष में बाबा मंदिर में अप्रत्याशित भीड़ होने की संभावना जतायी गयी है.
संक्रांति पर बांग्ला सावन का समापन
सूर्य पंचांग के अनुसार चलने वाले बांग्ला सावन का समापन 17 अगस्त को होगा. इसी दिन बाबा मंदिर में बेलपत्र प्रदर्शनी का समापन भी होगा. उसके बाद चंद्रमास के अनुसार सावन चलेगा जो कि 31 अगस्त को संपन्न होगा.
सावन के दूसरे पक्ष में बन रहे शुभ संयोग
सावन महीने के दूसरे पक्ष में इस बार कई पर्व-त्योहार हैं, जिनमें मनसा पूजा, मधु श्रावणी, झूलन आदि दूसरे पक्ष में ही होगा. तय तिथि के अनुसार 16 अगस्त को मधु श्रवणी का संयत व 17 अगस्त से मधु श्रावणी कथा प्रारंभ होगा तथा 19 अगस्त को इसका समापन होगा. 15 दिनों तक चलने वाली यह पूजा अधिक मास के कारण तीन दिन में ही संपन्न हो रही है. इसके अलावा 18 अगस्त को मनसा पूजा, 21 अगस्त को नाग पंचमी व 27 अगस्त से 31 अगस्त तक झूलन पूजा होगी.
मलमास की अंतिम सोमवारी पर भक्तों की उमड़ी थी भारी भीड़
इससे पहले पुरुषोत्तम मास व बांग्ला सावन की अंतिम सोमवारी पर बाबा बैद्यनाथ मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी. इस दौरान श्रद्धालुओं की कतार बाबा मंदिर से चार किलोमीटर दूर तक पहुंच गयी थी. सोमवारी के लिए रविवार दोपहर बाद से ही शिवगंगा से लेकर कांवरिया पथ तक कांवरियों का रेला लगा रहा और बोल-बम के जयकार से गुंजायमान होता रहा. पूरा शहर गेरुआ वस्त्रधारियों से भरा दिख रहा था. कांवरियों का कई जत्था तो खिजुरिया से ही ढोल-नगाड़े की थाप पर नाचते-गाते हुए बाबा नगरी पहुंचे. सोमवार को पट खुलने से पहले कतार बीएड कॉलेज के मुख्य दरवाजे तक पहुंच गयी थी. अहले सुबह 3:05 बजे बाबा मंदिर का पट खोला गया था. सावन का दूसरा पक्ष शुरू होते ही श्रद्धालुओं की भीड़ और ज्यादा बढ़ने की संभावना है.
बांग्ला सावन की अंतिम सोमवारी लगी थी आकर्षक बिल्व पत्र प्रदर्शनी
बांग्ला सावन की अंतिम सोमवारी पर शाम में सभी दलों की ओर से आकर्षक व अनोखे पहाड़ी बिल्व पत्र की प्रदर्शनी लगायी गयी थी. इससे पहले शाम पांच बजे से ही सभी दल अपने-अपने बिल्व पत्र लेकर पहुंचे. सभी दलों ने अपने पूर्व स्थानों में चांदी, तांबा व स्टील के बर्तन में बिल्व पत्र को सजाया था. इस अवसर पर काली मंदिर में जनरेल समाज व देव कृपा वन सम्राट बिल्वपत्र समाज, तारा मंदिर में बरनेल समाज, लक्ष्मी नारायण मंदिर में मसानी दल व मसानी दल टू , राम मंदिर में राजाराम बिल्वपत्र समाज, आनंद भैरव मंदिर में पंडित मनोकामना राधे श्याम बेलपत्र समाज के दो दलों के द्वारा आकर्षक व बाबा के त्रिनेत्र के समान अनोखे पहाड़ी बिल्व पत्र की प्रदर्शनी लगायी गयी थी.
परंपरा के अनुसार, इस बिल्वपत्र को सभी दल के सदस्यों के द्वारा रविवार को दूरदराज के जंगलों व पहाड़ों से तोड़ कर लाते हैं. इसके बाद सोमवार को सभी दल के सदस्यों द्वारा शाम बिल्व पत्र को चांदी के बर्तनों में सजाकर शहर भ्रमण को निकलते हैं. इसके बाद वे बिल्व पत्र के साथ अपनी गद्दी पर जाकर प्रदर्शित करते हैं.
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