Baba Dham Deoghar: देवघर के बाबा मंदिर में स्थित सभी 22 देवी देवताओं का अलग अलग महत्व है. सभी मंदिरों का अपना पौराणिक इतिहास व महत्ता है. इनके निर्माण व निर्माणकर्ता के बारे में रोचक कहानियां हैं. अब तक हम आपको मां पार्वती मंदिर, मां जगतजननी व मां संकष्टा मंदिर, भगवान गणेश मंदिर, मां संध्या मंदिर, चतुर्मुखी ब्रह्मा मंदिर, महाकाल भैरव मंदिर, भगवान हनुमान के मंदिर, मां मनसा मंदिर, मां सरस्वती मंदिर, बगलामुखी मंदिर, सूर्य नारायण मंदिर, राम-सीता-लक्ष्मण मंदिर, गंगा मंदिर और आनंद भैरव मंदिर के बारे में बता चुके हैं. आज हम आपको मां तारा मंदिर के बारे में बताएंगे.

ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ मंदिर के प्रांगण स्थित मां तारा की पूजा का विशेष महत्व है. यहां मां तारा व महादेव स्वयं विराजमान है. इस मंदिर का निर्माण लगभग 1930 से 1935 में पूर्व सरदार पंडा स्वर्गीय श्रीश्री भवप्रीता नंद ओझा ने कराया. मां तारा मंदिर का निर्माण मंदिर परिसर में सबसे अंतिम निर्माण है. इसके बाद सरदार पंडा श्रीश्री भवप्रीता नंद ओझा का गंगालाभ 11 मार्च 1970 हो गया. मां तारा के मंदिर की बनावट अन्य मंदिरों से अलग है. यह मुख्य मंदिर के उत्तर की ओर है व बाबा के निकास द्वार के सामने. इसके शिखर इसकी लम्बाई लगभग 40 चौडाई 30 फीट है. मां तारा के शिखर पर तांबे का कलश है. इसके ऊपर पंचशूल लगा है. शिखर के गुंबद के नीचे गहरे लाल रंग से रंगा हुआ है.

पांच फीट की है मां की मूर्ति

इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए मंदिर प्रांगण से सर्वप्रथम प्रथम दो सीढ़ी को पार करके भक्त मां तारा के प्रांगण में पहुंचते हैं. सामने के दरवाजे को भक्त प्रणाम कर सिर झुका कर गर्भ गृह में प्रवेश करते हैं. इसके उपरांत भक्त नीचे से मां की पूजा अर्चना करते हैं. जहां मां तारा के पावं के नीचे महादेव व खड्ग धारण की मां की खड़ी मुद्रा में स्वेत संगमरमर पत्थर की मूर्ति स्थापित है. इस मूर्ति की ऊंचाई पांच फीट है. यहां पर मां तारा की तांत्रिक विधि से पूजा की जाती है. मां तारा की पूजा के उपरांत भक्त बहारी दीवार में एक तरफ महालक्ष्मी व दूसरी तरफ मां भुवनेश्वरी की पूजा अर्चना करते हैं.

पिंजडे़ में शेर की बनी आकृति प्रतीक चिन्ह

इस मंदिर के ऊपर पिंजडे़ में शेर की बनी आकृति प्रतीक चिन्ह के रूप में लगा है. मां तारा मंदिर में माघ मास शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि को मंदिर स्टेट की ओर से मां तारा की वार्षिक पूजा विधि विधान से षोडशोपचार उपचार विधि से किया जाता है. इसके अलावा मां तारा मंदिर के प्रांगण में बैठने वाले तीर्थ पुरोहिततों की ओर से विशेष पूजा व भव्य महाश्रृंगार किया जाता है. इस मंदिर में प्रवेश करते ही जगतगुरु परिवार के वंशज, हिमालय पंडा परिवार के वंशज, तारा पंडा के वंशज व परिहस्त परिवार के वंशज मां तारा के प्रांगण में अपने यजमान को संकल्प पूजा कराने के गद्दी पर रहते हैं.

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