पांडा की रिपोर्ट पर खेतौरी व घटवाल को एसटी का दर्जा दिया जाये : डाॅ निशिकांत
डॉ दुबे की मांग पर केंद्रीय जनजातीय मामले के मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि कोई कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद जनजातीय मंत्रालय, आरजीआइ सहित अन्य मंत्रालय द्वारा विचार-विमर्श करने के बाद ही कैबिनेट में प्रस्ताव रखने का प्रावधान है.
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देवघर : सोमवार को लोकसभा में गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने खेतौरी व घटवाल जाति को एसटी का दर्जा देने का मामला फिर से उठाया.सांसद डॉ दुबे ने कहा कि 2014 में ऋषिकेश पांडा की अध्यक्षता में एक कमेटी बनी थी. इस कमेटी में आरजीआइ, राज्य सरकार, एससी-एसटी कमिशन के लोग सदस्य थे. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश की कई ऐसी जातियां थीं, जो पहले एसटी थीं, लेकिन किसी कारण भूलवश उन जातियों को एसटी की सूची में शामिल नहीं किया जा सका. कमेटी ने रिपोर्ट में कहा है कि खेतौरी व घटवाल जाति भी एसटी में थी, लेकिन भूलवश एसटी की सूची से इस समुदाय का नाम छूट गया. सांसद डॉ दुबे ने सदन में मांग करते हुए कहा है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद संयोगवश पांडा कमेटी की रिपोर्ट लागू हुई है. रिपोर्ट में यह स्पष्ट रूप से कहा है कि बगैर किसी नियम व कानून के कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर खेतौरी व घटवाल को एसटी का दर्जा दिया जाये.
अर्जुन मुंडा के कार्यकाल में भी भेजा जा चुका है प्रस्ताव
इससे पहले अजुर्न मुंडा के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान केंद्र सरकार को खेतौरी व घटवाल जाति को एसटी का दर्जा देने का प्रस्ताव भेजा जा चुका है. डॉ दुबे की मांग पर केंद्रीय जनजातीय मामले के मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि कोई कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद जनजातीय मंत्रालय, आरजीआइ सहित अन्य मंत्रालय द्वारा विचार-विमर्श करने के बाद ही कैबिनेट में प्रस्ताव रखने का प्रावधान है. गाइडलाइन के अनुसार, पांडा कमेटी की रिपोर्ट को शिड्यूलिंग करने के लिए वर्तमान राज्य सरकार से मंतव्य मांगा गया है, बार-बार पत्राचार करने के बावजूद राज्य सरकार ने मंतव्य नहीं दिया है.