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लावालौंग-पांकी पथ जर्जर, आवागमन में हो रही परेशानी

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लावालौंग. लावालौंग-पांकी पथ पूरी तरह जर्जर हो गया है. जिसके कारण लोगों को आवागमन में काफी परेशानी हो रही है. जर्जर सड़क पर पैदल चलना भी मुश्किल है. सबसे अधिक परेशानी बारिश के मौसम में होती है. बारिश के मौसम में सड़क में बने गड्ढों में पानी भर जाता है, जिससे दुर्घटना बढ़ जाती है. 25 साल पहले बनी उक्त सड़क में बोल्डर व मोरम डाल कर हार्ड सरफेस किया गया था. बरसात में मोरम बह गया और बोल्डर निकल आया. उक्त पथ लावालौंग को डालटेनगंज को जोड़ता है. सड़क नहीं बनने से सिमरिया, लालावालौंग व चतरा प्रखंड के लोगों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है. उन्हें पलामू जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है. लोग बालूमाथ व चंदवा होकर पलामू आवागमन कर रहे हैं. इससे समय के साथ-साथ आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा हैं. उक्त पथ के किनारे मंधनिया, रिमी, रामपुर, टिकदा, हरनाही, झरदाग, पचंगम, खापर महुआ, नावाडीह, सिलदाग, सौरू सहित कई गांव स्थित है. वन्य प्राणी अश्रायणी क्षेत्र में पड़ने के कारण कई बार टेंडर होने के बावजूद सड़क का निर्माण नहीं हुआ. वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहा है, जिस वजह से सड़क नहीं बन पा रही है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

लावालौंग. लावालौंग-पांकी पथ पूरी तरह जर्जर हो गया है. जिसके कारण लोगों को आवागमन में काफी परेशानी हो रही है. जर्जर सड़क पर पैदल चलना भी मुश्किल है. सबसे अधिक परेशानी बारिश के मौसम में होती है. बारिश के मौसम में सड़क में बने गड्ढों में पानी भर जाता है, जिससे दुर्घटना बढ़ जाती है. 25 साल पहले बनी उक्त सड़क में बोल्डर व मोरम डाल कर हार्ड सरफेस किया गया था. बरसात में मोरम बह गया और बोल्डर निकल आया. उक्त पथ लावालौंग को डालटेनगंज को जोड़ता है. सड़क नहीं बनने से सिमरिया, लालावालौंग व चतरा प्रखंड के लोगों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है. उन्हें पलामू जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है. लोग बालूमाथ व चंदवा होकर पलामू आवागमन कर रहे हैं. इससे समय के साथ-साथ आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा हैं. उक्त पथ के किनारे मंधनिया, रिमी, रामपुर, टिकदा, हरनाही, झरदाग, पचंगम, खापर महुआ, नावाडीह, सिलदाग, सौरू सहित कई गांव स्थित है. वन्य प्राणी अश्रायणी क्षेत्र में पड़ने के कारण कई बार टेंडर होने के बावजूद सड़क का निर्माण नहीं हुआ. वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहा है, जिस वजह से सड़क नहीं बन पा रही है.

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