भगवान भरोसे संचालित हो रहे हैं आंगनबाड़ी केंद्र
केंद्र में निर्धारित बच्चों की उपस्थिति नहीं होती है
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इटखोरी. इटखोरी बाल विकास परियोजना क्षेत्र के चार प्रखंड इटखोरी, पत्थलगड्डा, गिद्धौर व मयूरहंड में आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन भगवान भरोसे हो रहा है. किसी भी केंद्र में निर्धारित बच्चों की उपस्थिति नहीं होती है, जबकि बिल विपत्र में 30-35 बच्चों की उपस्थिति दर्ज की जाती है. यूनिसेफ व भारत सरकार द्वारा संयुक्त रूप से संचालित बाल विकास परियोजना अपने उद्देश्यों से पिछड़ रहा है. इसके संचालन की खानापूरी की जा रही है. सात साल से नहीं हैं सीडीपीओ : इटखोरी बाल विकास परियोजना कार्यालय में सात साल से सीडीपीओ का पद रिक्त है. बीडीओ के प्रभार पर कार्यालय चल रहा है. पदस्थापित सुपरवाइजर उषा कुमारी व संध्या कुमारी पर 210 केंद्रों की निगरानी का दायित्व है, कई वर्षों से केंद्रों का निरीक्षण नहीं हुआ है. पदस्थापित सुपरवाइजर भी नियमित रूप से कार्यालय व क्षेत्र में उपस्थित नहीं रहती हैं. केंद्रों का निरीक्षण करने वाला कोई नहीं है. सात की जगह मात्र दो सुपरवाइजर पदस्थापित हैं. मासिक बैठक के दिन सभी केंद्र की पंजी पर पर्यवेक्षण दर्शा दिया जाता है. सेविकाओं पर रहता है दबाव : आंगनबाड़ी केंद्र की सेविकाएं भी मानसिक दबाव से गुजर रही हैं. इनपर सुपरवाइजरों का दबाव बना रहता है. नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ सेविकाओं ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि बिल विपत्र स्वीकृति के बदले 10 प्रतिशत राशि की मांग की जाती है. बिना कमीशन के बिल विपत्र स्वीकृत नहीं होता है. इंस्पेक्टर राज कायम है : विभागीय उदासीनता के कारण बाल विकास परियोजना के उद्देश्यों पर पानी फिर गया है, लेकिन इंस्पेक्टर राज कायम है. पर्यवेक्षिकाओं के आगे सभी सेविकाएं नतमस्तक हैं.