Chaibasa News : नदियों के संगम पर सैर-सपाटा व पिकनिक का आनंद लें

जैंतगढ़ : आस्था के केंद्र नीलकंठ शिव मंदिर में सोमवार को होती है विशेष पूजा, ठंड में तीन राज्यों से पहुंचते हैं सैलानी

By Prabhat Khabar News Desk | December 12, 2024 12:42 AM

जैंतगढ़.ठंड के मौसम को सैर-सपाटा के लिए अनुकूल माना गया है. ऐसे में दिसंबर व जनवरी में पिकनिक का दौर शुरू हो जाता है. कोल्हान को प्रकृति ने अपनी अनुपम कला से सजाया है. यहां कल-कल बहती नदियां व हरे-भरे पहाड़ की खूबसूरती सैलानियों को खूब आकर्षित करती है. इनमें पवित्र वैतरणी और कांगिरा नदी के संगम पर स्थित नीलकंठ भी शामिल है. यहां सफेद बालू की चादर, कतारबद्ध पहरेदारी करते वृक्ष, सुंदर झाड़ियां और चट्टानों से टकराता पानी बड़ा मनोरम दृश्य उत्पन्न करता है. यहां वैतरणी का पानी हल्का नीला है, जबकि कांगिरा का पानी रंगहीन है. वैतरणी के मुकाबले कांगिरा नदी का पानी ठंडा होता है. संगम पर स्नान करने वाले इसका पूरा लुत्फ उठाते हैं. यहां बना शिव मंदिर धार्मिक आस्था का केंद्र है. नदी किनारे अंतिम संस्कार भी होता है. शिव मंदिर में शादी-विवाह का आयोजन भी होता है. प्रत्येक सोमवार को यहां विशेष पूजा होती है. सावन में भोले बाबा के भक्तों की भीड़ लगती है. नीलकंठ मंदिर तीन जिलों और दो राज्यों के संगम स्थल पर है. ओडिशा के क्योंझर व मयूरभंज और झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम का संगम है. यहां सैकड़ों लोग पिकनिक का आनंद उठाने आते हैं. दिसंबर व जनवरी में सैलानियों से गुलज़ार रहता है.

मकर संक्रांति में लगता है विशाल मेला

यहां मकर संक्रांति पर विशाल मेला लगता है. 14 जनवरी को विशेष पूजा का आयोजन होता है. 15 जनवरी को मेला में दूर-दराज से लोग आते है.

सतर्कता भी जरूरी

संगम पर वैतरणी की धारा तेज रहती है. वहीं, नदी की गहराई भी अधिक है. यहां स्नान करते समय सतर्कता बरतें. चट्टानों पर फिसलन है. बच्चों को अकेले न छोड़ें.

ऐसे पहुंचें

नीलकंठ पहुंचने के लिए बस से जैंतगढ़ पहुंचे. वहां छोटे वाहन या ऑटो से तीन किमी दूर गुटुसाही होते हुए नीलकंठ पहुंचे. ओडिशा के लोग चंपुआ की ओर से जा सकते हैं. चंपुआ पहुंच कर छोटे वाहन से नीलकंठ पहुंचा जा सकता है.

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