रांची में पांचों सेंट्रल ट्रेड यूनियनों की बैठक, 11वां वेतन समझौता रद्द करने के आदेश को लेकर बनायेंगी रणनीति
कोयला कर्मियों के 11वां वेतन समझौता को रद्द करने संबंधी दिये गये फैसले के बाद आगे की रणनीति इस बैठक में तय की जायेगी. हालांकि बुधवार को जबलपुर हाईकोर्ट में कोल इंडिया ने सिंगल बेंच के निर्णय को लेकर डबल बेंच में अपील दाखिल कर दी है. गुरुवार को होने वाली बैठक में इस पर चर्चा व मंथन होगा.
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कोल सेक्टर की पांचों सेंट्रल ट्रेड यूनियनों की बैठक गुरुवार को रांची स्थित सीएमपीडीआई में होगी. जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा आठ सितंबर कोयला कर्मियों के 11वां वेतन समझौता को रद्द करने संबंधी दिये गये फैसले के बाद आगे की रणनीति इस बैठक में तय की जायेगी. हालांकि बुधवार को जबलपुर हाईकोर्ट में कोल इंडिया ने सिंगल बेंच के निर्णय को लेकर डबल बेंच में अपील दाखिल कर दी है. गुरुवार को होने वाली बैठक में इस पर चर्चा व मंथन होगा कि इस मामले में यूनियनों को भी पार्टी बनना चाहिए या नहीं? इस मामले को लेकर बीएमएस के आग्रह पर अन्य चारों सेंट्रल ट्रेड यूनियनों की यह बैठक होगी. इसमें पांचों सेंट्रल यूनियनों की ओर से दो-दो प्रतिनिधि शामिल होंगे.
एटक की ओर से रमेंद्र कुमार व अशोक यादव, इंटक की ओर से एसक्यू जामा व विधायक कुमार जयमंगल सिंह, सीटू की ओर से आरपी सिंह व डीडी रामानंदन, एचएमएस की ओर से नाथुलाल पांडेय व बीएमएस की ओर से लक्ष्मा रेड्डी मुख्य रूप से शामिल होंगे. मालूम हो कि जबलपुर हाईकोर्ट ने डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इंटरप्राइजेज (डीपीइ) को 60 दिनों के अंदर सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय लेने का निर्देश दिया है. कहा है कि अगर इसमें कोई विसंगति नहीं हुई है तो कोयला मंत्रालय वेतन समझौता से संबंधित आदेश जारी कर सकता है.
क्या था डीपीइ का गाइडलाइन
मालूम हो कि 11वां वेतन समझौता में 19 फीसदी एमजीबी पर कोल इंडिया प्रबंधन ने अपनी सहमति दी थी. इसके बाद मजदूर संगठनों का कहना था कि वेजबोर्ड-11 में उन लोगों ने डीपीइ के गाइड लाइन को तोड़ने में कामयाबी हासिल की है. अधिकारियों के बेसिक के सिलिंग को 11वां वेतन समझौता में तोड़ दिया. देश के किसी भी पब्लिक सेक्टर में पांच साल के समझौते पर 19 फीसदी एमजीबी नहीं लिया गया है. मालूम हो कि 24 नवंबर 2017 को भारत सरकार के डीपीइ के जारी गाइड लाइन के तहत किसी भी हालत में कोलकर्मियों का वेज और बेसिक अधिकारियों से ज्यादा नहीं होना चाहिए. इसलिए कोल इंडिया प्रबंधन वेजबोर्ड-11 में एमजीबी को लेकर फूंक-फूंक कर कदम रख रहा था. हालांकि डीपीइ का गाइड लाइन वेजबोर्ड-10 में भी था, लेकिन उसमें बेसिक व वेज अधिकारियों की तुलना में कोलकर्मियों का बढ़ने को लेकर कोई शर्त नहीं थी. लेकिन इस बार डीपीइ का जो गाइड लाइन आया था, उसमें इस शर्त को जोड़ दिया गया था.
अधिकारियों ने दायर की थी याचिका
कोलकर्मियों का 11वां वेतन समझौता होने के बाद 29 अगस्त को कई कोयला अधिकारियों ने हाइकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इसमें कहा था कि कोल कर्मियों के वेतन समझौता से अधिकारियों को नुकसान हुआ है. ए-1 ग्रेड के कर्मियों का वेतन इ-2 रैंक के अधिकारियों से अधिक हो गया है. यह अधिकारियों के मौलिक अधिकार का हनन है. साथ ही यह डीपीइ के गाइड लाइन का उल्लंघन है.
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ए-1 कर्मियों का मूल वेतन हो गया लगभग 71 हजार
मालूम हो कि 11वां वेतन समझौता हो जाने के बाद ए-1 के कोल कर्मियों का मूल वेतन लगभग 71 हजार हो गया. जबकि इ-2 के अधिकारियों का पे-स्केल की शुरुआत 50 हजार से होती है. मजदूर संगठनों का तर्क है कि एक कोलकर्मी अपने 30-35 साल के सेवाकाल में कई प्रमोशन के बाद ए-1 ग्रेड तक पहुंचता है. तब उसका पे स्केल 71 हजार रुपये हुआ. जबकि इ-2 के अधिकारियों का ज्वाइनिंग के समय से ही पे स्केल 50 हजार से शुरू हो जाता है. मालूम हो कि 11वां वेतन समझौता में कोलकर्मियों के मूल वेतन में सात से 30 हजार रुपये तक की वृद्धि हुई है.
क्या कहते हैं यूनियनों के नेता
जबलपुर हाईकोर्ट के फैसले के बाद भी कोयला कर्मियों को कोई नुकसान होने वाला नहीं है. बढ़ा हुआ वेतन कम नहीं होगा. डीपीइ को सभी पक्षों को सुनने के लिए कहा गया है, हम वहां अपनी बात रखेंगे.
जेनरल एसक्यू जामा, इंटक
कोयला वेतन समझौता में कभी भी हमलोगों ने डीपीइ के गाइड लाइन को नहीं माना है. अगर लगता है कि यह उल्लंघन है तो आगे के वेतन समझौता में भी यह होगा.
-लखनलाल महतो, एटक
कोयला मजदूरों को नुकसान नहीं हो, इसको लेकर हम सजग हैं. जबलपुर हाईकोर्ट का जो निर्णय आया है, उसमें हम पांचों यूनियनों की भी भूमिका अहम हो जाती है.
-डीडी रामानंदन, सीटू