जमशेदपुर : हाथियों के अभ्यारण्य दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के भीतर के करीब 85 गांवों के विकास के लिए एक नयी रेखा खींची गयी है. कंपनसेटरी अफॉरेस्टेशन पंड मैनेजमेंट एंड प्लानिंग (कैंपा फंड) के माध्यम से इन सारे गांवों के विकास के लिए दस साल की कार्य योजना तैयार किया गया है. इसके तहत काम शुरू कर दिया गया है. वित्तीय वर्ष 2023-2024 से इसकी मंजूरी मिली है, जिसके तहत पहले साल 2.50 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके है. इस साल इस पर करीब 3.50 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. 85 गांवों के विकास के लिए अभी तक करीब 8 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गयी है. हर साल दर साल काम करने के लिए एडवांस में योजना बनाकर भेजी गयी है जबकि हर साल की परियोजना भी बनेगी, जिसके जरिये इन सारे गांवों का विकास होगा. स्थानीय गांवों की ग्रामसभा के माध्यम से यह विकास होगा. इसके तहत लोगों के रोजी रोजगार का भी बंदोबस्त होगा. अब तक दलमा में करीब एक दर्जन तालाब खोदे गये है, जिसमें मछली पालन कराया जा रहा है. जंगल में मछली पालन का लाभ यह है कि लोगों को रोजगार भी मिलता है और जानवरों को पानी भी मिलता है. इसके अलावा कलवर्ट, चेकडैम, पानी की परियोजनाएं लगायी जा रही है. मिली जानकारी के मुताबिक, दलमा अभ्यारण्य के खाते में करीब 100 करोड़ रुपये कैंपा फंड में जमा है. इसके जरिये ही दलमा का विकास होगा. नेशनल हाइवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआइ) और स्वर्णरेखा परियोजना ने करीब 58 करोड़ रुपये जमा कराये है. दलमा की जमीन का अधिग्रहण एनएचएआइ और स्वर्णरेखा परियोजना की ओर से की गयी है. एनएचएआइ ने करीब 28 करोड़ रुपये की राशि जमा करायी है जबकि स्वर्णरेखा परियोजना की ओर से करीब 30 करोड़ रुपये जमा कराये गये है. अन्य छोटी छोटी राशि को जमा कराया गया है. इसके आधार पर यह राशि जमा है, जिसमें से गांवों और जंगल के विकास पर यह राशि खर्च की जायेगी. इस राशि को खर्च करने के लिए लोकल स्तर से अधिकारी मुख्यालय प्रोजेक्ट भेजा जाता है. मुख्यालय से नयी दिल्ली केंद्र सरकार के पास इस राशि को भेज दिया जाता है. इसके बाद जब केंद्र सरकार की मंजूरी मिलती है तो यह राशि दलमा या अन्य स्थानों पर वन विभाग खर्च करेगा ताकि जंगल में रहने वाले लोगों की आजीविका सुनिश्चित हो सके.
कैंपा फंड के जरिये गांवों का विकास होगा : डीएफओ
दलमा के डीएफओ डॉ अभिषेक कुमार ने बताया कि कैंपा फंड के जरिये गांवों का विकास होगा. इसके लिए राशि आयी है. दस साल की कार्य योजना बनाकर हम लोगों ने भेजा है. हर साल भी इसके लिए परियोजना बनायी जा रही है और काम हो रहा है. इसका काम शुरू हो चुका है. जैसे जैसे राशि आयेगी, वैसे वैसे ग्राम सभा के साथ मीटिंग कर योजना के क्रियांवयन का काम किया जायेगा.
क्या है कैंपा फंड :
राज्यों में होने वाले विभिन्न विकास योजना के लिए वनों की जमीन ली जाती है. इसके तहत जो जमीन का अधिग्रहण करती है, उसको पैसे देने होते है और जितना जमीन का अधिग्रहण किया जाता है, उसका दोगुना जमीन वन को लौटाना होता है. इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने साल 2001 में क्षतिपूरक वनीकरण कोष और क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कंपेशटरी अफोरेस्टेशन फंड एंड कंपेसेटरी अफोरेस्टेशन फंड मैनेजमेंट एंड प्लानिंग ऑथोरिटी – कैंपा) की स्थापना का आदेश दिया. इसके लिए वर्ष 2006 में अलग बैंक खाता खोला गया. साल 2009 में सर्वोच्च न्याालय ने इस राशि में से हर साल 1000 करोड़ रुपये की राशि जारी करने को कहा. इसके बाद कैंपा फंड में करीब 54685 करोड़ रुपये की राशि जमा हो गयी है, जिसके लिए राज्यों ने अपना एकाउंट खुलवाया है. इसके तहत विभिन्न राज्यों को फंड भेजा जा चुका है. अब तक उन राज्यों को 47436 करोड़ रुपये रिलीज किये जा चुके है.