Sonpur mela: शाम ढलते ही और निखर जाती है मेले की रौनक, थाईलैंड झूला और सर्कस ने जीता लोगों का दिल 11

सोनपुर मेले की रौनक शाम ढलने के साथ ही बढ़ते हुए दिखाई देती है. हाजीपुर विश्व प्रसिद्ध पशु मेला हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला जिसे छत्तर मेला के नाम से भी जाना जाता है. यह आस्था परंपरा आधुनिकता व लोक संस्कृति को अपने दामन में थामे हुए है.

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समय के साथ सोनपुर मेला अब धीरे- धीरे अपनी समाप्ति की ओर बढ़ रहा है. लेकिन, इसकी भव्यता और रौनक में जरा सी भी कमी नहीं आई है. रोजाना लाखों लोग घूमने आ रहे हैं. यहां की हर चीज लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती दिखती है.

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सोनपुर मेला की ड्रोन से ली गई यह तस्वीर मेले की भव्यता की कहानी बयां कर रही है. यह मेला अब अंतिम पड़ाव में है. लेकिन मेला की चमक काफी बढ़ी हुई है.

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प्रतिदिन लगभग एक से डेढ़ लाख लोग यहां आते हैं. लोग मेला घूमते है. यहां पर तरह- तरह के झूला, थाईलैंड सांड, थाइलैंड झूला, मछली, टनल, चिड़िया बाजार, घोड़ा बाजार, गाय बाजार, मौत का कुआं सर्कस और भारत सरकार और बिहार सरकार की बहुत सारी प्रदर्शनी लगी हुई है.

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यह मेला इतिहास के पन्नों में दर्ज है. हालांकि, अब यह मेल धीरे- धीरे सिमट रहा है. लेकिन इस बार मेला में लगभग अब तक 30 लाख लोग आ चुके हैं.

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बाबा हरिहरनाथ मंदिर की सोनपुर में यह स्थित है, जो की लोक आस्था का एक बहुचर्चित तीर्थ स्थल है.

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सोनपुर में ही गज ग्राह की प्रतिमा स्थापित है. यह पौराणिक कथाओं में भी उल्लेखित है. शाम ढलते ही सोनपुर मेले की रौनक और निखर जाती है.

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एशिया के सबसे बड़े पशु मेला के रूप में प्रसिद्ध सोनपुर मेला के कई रूप हैं. सुबह से देर रात तक मेले में लोगों की चहल- पहल बनी रहती है.

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शाम ढलने के बाद मेले की रौनक कुछ ज्यादा ही निखर जाती है. शाम ढलने के बाद सोनपुर मेला पर आधुनिकता का रंग चढ़ जाता है.

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हर ओर जगमगाती रंगीन लाइटों से की गयी आकर्षक सजावट लोगों को अपनी ओर काफी आकर्षित करती है. अलग- अलग तरह के स्टॉल भी लोगों का अपनी ओर ध्यान खींच रहे हैं.