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पुजारी की हत्या व मूर्ति चोरी मामले में सुराग नहीं

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बेलसंड. थाना क्षेत्र के जाफरपुर गांव स्थित राम जानकी मठ में शुक्रवार की देर रात पुजारी सुगंध झा की हत्या व भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण व हनुमान जी की अष्टधातु की मूर्तियों के चोरी मामले में थाने की पुलिस टीम अभी किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है. हालांकि पुलिस का यह दावा है कि अपराधियों का सुराग तलाशने को लेकर आसपास लगे कुछ सीसीटीवी फुटेज को खंगाला जा रहा है. इधर, मठ के महंत बृजकिशोर दास के आवेदन पर अज्ञात बदमाशों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गयी है. पुजारी सुगंध झा का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव भंडार में शनिवार की देर रात को कर दिया गया है. पत्नी ललिता देवी का रो-रो कर बुरा हाल है. पुजारी के दो पुत्र व दो पुत्री है. सभी शादी सुदा है.

— वर्ष 1976 में मठ में हुई थी मूर्ति की स्थापना

मधकौल गांव के स्व महेंद्र सिंह ने मठ में मूर्ति की स्थापना वर्ष 1976 में करायी थी. इससे पूर्व मठ में शालिग्राम रखकर पूजा की जा रही थी. उस समय मठ के महंत मधकौल गांव के राजा राम दास हुआ करते थे. राजा राम दास के मरने के बाद महेंद्र सिंह के दामाद बृजकिशोर दास मठ के महंत बने. मालूम हो कि जाफरपुर मठ मे जाने के लिए एक किलोमीटर पहले ही मोटरसाइकिल खड़ी करनी पड़ती है. पगडंडी के सहारे मठ तक जाया जा सकता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

बेलसंड. थाना क्षेत्र के जाफरपुर गांव स्थित राम जानकी मठ में शुक्रवार की देर रात पुजारी सुगंध झा की हत्या व भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण व हनुमान जी की अष्टधातु की मूर्तियों के चोरी मामले में थाने की पुलिस टीम अभी किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है. हालांकि पुलिस का यह दावा है कि अपराधियों का सुराग तलाशने को लेकर आसपास लगे कुछ सीसीटीवी फुटेज को खंगाला जा रहा है. इधर, मठ के महंत बृजकिशोर दास के आवेदन पर अज्ञात बदमाशों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गयी है. पुजारी सुगंध झा का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव भंडार में शनिवार की देर रात को कर दिया गया है. पत्नी ललिता देवी का रो-रो कर बुरा हाल है. पुजारी के दो पुत्र व दो पुत्री है. सभी शादी सुदा है.

— वर्ष 1976 में मठ में हुई थी मूर्ति की स्थापना

मधकौल गांव के स्व महेंद्र सिंह ने मठ में मूर्ति की स्थापना वर्ष 1976 में करायी थी. इससे पूर्व मठ में शालिग्राम रखकर पूजा की जा रही थी. उस समय मठ के महंत मधकौल गांव के राजा राम दास हुआ करते थे. राजा राम दास के मरने के बाद महेंद्र सिंह के दामाद बृजकिशोर दास मठ के महंत बने. मालूम हो कि जाफरपुर मठ मे जाने के लिए एक किलोमीटर पहले ही मोटरसाइकिल खड़ी करनी पड़ती है. पगडंडी के सहारे मठ तक जाया जा सकता है.

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